Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 3
________________ राजा प्रदेशी और केशीकुमार श्रमण | वहाँ पधारे। नगर के बाहर हजारों आम के वृक्षों वाला 'आमशाल वन' (बगीचा) था। वहीं पर भगवान का | समवसरण लगा। नगर का 'संघ' राजा-रानी और हजारों नागरिक आकर भगवान की देशना सुनने लगे। Algiers ovate omani जो व्यक्ति धर्म की आराधना करता है, उसके जीवन का प्रत्येक क्षण सफल होता है..... Jain Education International TARI प्राचीनकाल में आमलकप्पा नामक सुन्दर नगरी थी। विहार करते हुए भगवान महावीर TA 110 उसी समय सौधर्म नामक स्वर्ग के सूर्याभ विमान में सूर्याभदेव अपनी सुधर्मा सभा में बैठा अप्सराओं का नृत्यगायन का आनन्द ले रहा था। वाह ! DOO.or www For Private & Personal Use Only 00000 कितना सुन्दर नृत्य है। www.jainelibrary.org

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