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देवों ने तुरन्त विमान सजाया
भन्ते ! क्या मैं भव्य हूँ ? मोक्ष प्राप्त करने योग्य हूँ या नहीं ?
राजा प्रदेशी और केशीकुमार श्रमण
धर्म देशना सुनने के पश्चात् सूर्याभदेव ने प्रभु से पूछा'देव! तुमने पूर्व जन्म में धर्म की सम्यक् आराधना की है। आगामी जन्म में भी तुम धर्म की सम्यक्, आराधना करोगे।
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स्वामी! भगवान महावीर के दर्शन हेतु पृथ्वी पर जाने के लिए विमान • तैयार है।
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विमान में बैठकर अपने देव परिवार के साथ सूर्याभदेव भगवान महावीर की धर्म सभा में आया। अत्यन्त भक्ति भाव के साथ उसने भगवान महावीर को वन्दना कर अपना परिचय दियाप्रभो ! मैं सूर्याभदेव आपको वन्दना करता हूँ।
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फिर वह यथा स्थान बैठ गया।
कहा
सूर्याभदेव अत्यन्त प्रसन्न हुआ और उसने तीन बार प्रदक्षिणा कर वन्दना की। फिर उसने भगवान से प्रभो! जिस धर्म-साधना के फलस्वरूप मैंने यह दिव्य ऋद्धि प्राप्त की है.. उसका कुछ प्रदर्शन यहाँ करना चाहता हूँ।
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प्रभु मौन रहे।
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