Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056 Author(s): Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 6
________________ राजा प्रदेशी और केशीकुमार श्रमण सूर्याभदेव ने अपने देवों को संकेत किया। सर्वप्रथम सभी ने प्रभु को वन्दना की। फिर अष्ट मंगल आकृति | बनाकरमोहकनत्य आदि किये। वाह ! ऐसा வவவவன் अद्भुत नाटक हमने पहले कभी नहीं देखा। NAVAYAVA TO HAMPA ONIOவலம் NADA S HTRODE DA अनेक प्रकार के दिव्य नाटक आदि दिखाकर सूर्याभदेव वापस स्वर्ग को चला गया। देव के जाने के बाद गणधर गौतम स्वामी ने भगवान महावीर से पूछा भन्ते ! यह देव गौतम ! इस देव कौन था? किस धर्म-साधना के पूर्वजन्म की कथा के फलस्वरूप उसने यह दिव्य बड़ी विस्मयकारी है। ऋद्धि प्राप्त की है। मैं तुम्हें बताता हूँ। ध्यान से सुनो। Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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