Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056 Author(s): Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 7
________________ राजा प्रदेशी औरकेशीकुमार श्रमण बहुत प्राचीनकाल की बात है सेयविया (श्वेताम्बिका) नगरी में प्रदेशी नाम काराजा था। वहराजा धर्म का विरोधी, हिंसा आदि क्रूरकर्म करने वाला था। राजा कीरानी का नाम सूर्यकान्ता और पुत्र का नाम सूर्यकान्त था। चित्त नामक राजा का प्रधानमंत्री बड़ा धार्मिक, दयालु, चतुर और नीतिनिष्ठ होने केसाथहीराजाका बचपन का मित्र भीथा। इसने कर नहीं महाराज! इसे दिया। इसको क्षमा कर दें। अगले और मारो! वर्ष इससे पूरा कर वसूल लेंगे। POORULE a BORATNIG2424XANAXX - 9999 090 09099999999999 200000 OOOO एक बार व्यापारियों का एक काफिला सेयविया नगरी के पास से निकला। नगर वालों ने हँसकर कहाके पास आने पर एक बूढ़े व्यापारी ने गाय चराने वाले ग्वालों से पूछा हे! ऐसा दुष्ट भाई! हम बहुत दूर से अपने जान-माल से दुश्मनी है । हैवह? व्यापार करने आये हैं।।। क्या? तुमको पता नहीं, यहाँ का यह नगर कौन-सा है?| राजा बडा अत्याचारी, पापी और लुटेरा। यहाँ का राजा कौन है? | है। उसके हाथ की तलवार हर समय खून से रंगी रहती है। आदमी को मारना तो उसके लिए खेल है। Personas 5Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38