Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056 Author(s): Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 12
________________ तब केशी श्रमण बोलेमंत्री, एक बात बताओ! एक बहुत सुन्दर बगीचा है, उसमें तरह-तरह के फल-फूल वाले छायादार वृक्ष लगे हैं। वहाँ पर पशु-पक्षी आना चाहते हैं या नहीं? राजा प्रदेशी औरकेशीकुमार श्रमण समझो, उस बगीचे में एक शिकारी हाथ में नहीं ! जहाँ धनुष तीर लेकर छुपा बैठा साक्षात् मौत है तो क्या वहाँ पर कोई नाच रही हो, वहाँ पशु-पक्षी आयेंगे? कौन आयेगा? क्यों नहीं। जरूर वहाँ आकर विश्राम करना चाहेंगे। तो मंत्री! तुम्हारी सेयविया नगरी बगीचे के समान है, किन्तु तुम्हारा अत्याचारी और अधर्मी राजा शिकारी के समान वहाँ बैठा है तो संत पुरुष, धर्म मुनि कैसे आयेंगे?/ गुरुदेव!आप एक बार दर्शन तो देवें। मुझे लगता है सत्संग से अधर्मी राजा भी सुधर कुछ दिन बाद चित्त मंत्री बगीचे में बैठा था तभी चौकीदारों ने आकर सूचना दी मंत्रिवर!आप जिन महाश्रमण के आने की बहुत सुन्दर! मैं प्रतीक्षा कर रहे थे, वे | शीघ्र ही उनके दर्शन केशीकुमार श्रमण हमारे बगीचे में पधारगये हैं। के लिये आ रहा हूँ। जायेगा। | मंत्री ने बहुत अनुनय-विनय करके मुनि को मना लिया। मंत्री चौकीदारों को इनाम देकर वापस भेज देता है। lain Education International For Private Cersonal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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