Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

Previous | Next

Page 10
________________ राजा प्रदेशी और केशीकुमार श्रमण दूसरे दिन प्रातःकाल मंत्री ने देखा नगर के सैकड़ों मंत्री ने चौकीदार को बुलाकर पूछा तो चौकीदार ने स्त्री-पुरुष सुन्दर वस्त्र-आभूषण पहने कहीं जा रहे| बताया मंत्री जी! आज नगर में भगवान पार्श्वनाथ के शिष्य केशीकुमार श्रमण पधारे हैं। ये श्रमण बड़े ज्ञानी, तपस्वी और प्रभावशाली हैं। सभी नगरजन उनके पावन दर्शन करने और उपदेश सुनने के लिए जा रहे हैं। आज ये सब लोग एक ही दिशा में क्यों जा रहे हैं? क्या कोई मेला है, महोत्सव है? मंत्री ने प्रसन्न होकर सोचा मुनि जनता को धर्मोपदेश देते हैंकितना सुन्दर मौका है, . भव्य जनो! मनुष्य जीवन आज तो बिना बादल ही वर्षा | | पाने का सार यह है कि मनुष्य हो गई। मैं भी ऐसे महान भोग की जगह त्याग को, स्वार्थ संत के दर्शन करने की जगह सेवा को और संग्रह जाऊँगा। की जगह दान को अपनायें। ood स्नान आदि करके मंत्री प्रवचन सुनने बगीचे की तरफ चल दिया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38