Book Title: Raja Pradeshi aur Keshikumar Diwakar Chitrakatha 056
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 2
________________ राजा प्रदेशी और केशीकुमार श्रमण कहा जाता है पारस का स्पर्श पाकर लोहा सोना बन जाता है और अमृत के पान से विष का प्रभाव समाप्त हो जाता है, किन्तु आज तक हमने न तो पारस देखा, न ही अमृत का दर्शन किया । किन्तु यह तो अनुभव का सच है कि सत्संग का प्रभाव इनसे भी अधिक चमत्कारी होता है। सत्संग से मनुष्य का जीवन बदल जाता है। विचार शुद्ध हो जाते हैं। पापात्मा महात्मा बन जाता है। दुर्जन सज्जन बन जाते हैं। क्रूर, निर्दय हत्यारा करुणा का अवतार बन जाता है । क्रोधी राक्षस से क्षमा का देवता बन जाता है। I रायपसेणिय नामक जैन सूत्र में भगवान महावीर ने प्रदेशी राजा और केशीकुमार श्रमण का ऐतिहासिक उदाहरण देकर बताया है, प्रदेशी जैसा नास्तिक, धर्म विरोधी और हिंसा आदि पापों में लीन रहने वाला और छोटे से अपराध पर भी मृत्यु दण्ड देने वाला व्यक्ति एकदम परम आस्तिक, धार्मिक, करुणा और क्षमा का अवतार बन गया कि रानी ने भोजन में जहर मिलाकर खिला दिया और राजा को पता चल गया तब भी वह शांत और क्षमाशील बना रहा। न रानी पर द्वेष किया, न ही मन में दुःखी हुआ । यह परिवर्तन कैसे हुआ ? उत्तर है सत्संग के प्रभाव से । हमने यहाँ केवल प्रदेशी राजा का चरित्र ही लिया है। एक बार भगवान महावीर के सामने सूर्याभ देवता स्वर्ग से आकर वन्दना करता है और अपनी दिव्य देव ऋद्धि का प्रदर्शन करता है । तब गौतम स्वामी पूछते हैं- "इस देव ने इतनी दिव्य ऋद्धि कैसे प्राप्त की ? इसने पूर्व जन्म में क्या-क्या धर्म कार्य किये थे ?" उत्तर में भगवान महावीर सूर्याभ देवता के पूर्व जन्म की कथा सुनाते हैं कि यह पहले प्रदेशी नाम का राजा था। इस प्रकार इसके जीवन में यह परिवर्तन आया है। -महोपाध्याय विनय सागर सम्पादक : श्रीचन्द सुराना 'सरस' प्रकाशन प्रबंधक : संजय सुराना Jain Education International प्रकाशक L श्री दिवाकर प्रकाशन ए-7, अवागढ़ हाउस, अंजना सिनेमा के सामने, एम. जी. रोड, आगरा-282002. दूरभाष : 0562-2151165 सचिव, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर 13- ए, मेन मालवीय नगर, जयपुर-302017. दूरभाष : 2524828, 2561876, 2524827 अध्यक्ष, श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर (राज.) श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा 18/D, सुकेस लेन, कलकत्ता - 700001. दूरभाष : 22426369, 22424958 फैक्स: 22104139 - श्रीचन्द सुराना 'सरस' चित्रांकन : श्यामल मित्र For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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