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[ १० ] हमारे संग्रहमें ग्रंथकी प्रतिलिपि मौजूद थी परन्तु उनके क्षतविक्षत होनेके कारण उसका सम्पूर्ण प्रकाशन सम्भव नहीं था। इस कार्यके लिए मेवाड़के अन्तर्गत मेंगटिया ग्रामके ठा. श्री ईश्वरदानजी आसियाने प्रस्तुत ग्रन्थकी हस्तलिखित प्रति, जो पूर्ण सुरक्षित थी, हमें प्रदान कर अपूर्व सहयोग दिया है। उसके लिए वे धन्यवादके पात्र हैं और मैं उनके इस सहयोगके लिए कृतज्ञता प्रकट करता हूँ।
जोधपुर, २१ फरवरी, १९६० ई.
सीताराम लालस
सम्पादक
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