Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 11
________________ "अभिनन्दन और अनुमोदन" भारत एक महान् देश है। इस आर्यदेश की महान् संस्कृति विश्व के लिए एक आदर्शरूप बनी हुई है, क्योंकि यह आर्य-संस्कृति मोक्षलक्षी है। आत्मशुद्धि और आत्मा की पवित्रता को पाने के लिए इस संस्कृति में विविध ग्रन्थ उपलब्ध हैं। सभी आर्यधर्म आत्मतत्त्व की शाश्वतता में विश्वास करते हैं। आत्मज्ञान और आत्मरमणता ही सुख का साधन है। मनुष्य अपनी साधना के बल पर विकृति से संस्कृति और संस्कृति से प्रकृति की ओर निरन्तर गतिशील रहता है। जीवन में विकृति है, इसलिए संस्कृति की आवश्यकता है। संस्कृति में क्या नहीं ? उसमें आचार की पवित्रता, विचार की गंभीरता एवं कला की सुंदरता है। ____ भारतीय-संस्कृति में संस्कारों के नवोन्मेष हेतु अनेक उदार-चेता मनस्वियों, धार्मिक-आचार्यों तथा महापुरुषों की संस्कार-विकासिनी वाणी का अभूतपूर्व संगम दृष्टिगोचर होता है। खरतरगच्छ के रुद्रपल्ली शाखा के एक महान् विद्वान् आचार्य वर्धमानसूरि ने भी आचारदिनकर जैसे ग्रन्थ की रचना कर जैन-संस्कृति और तत्कालीन समाज-व्यवस्था में प्रचलित विधि-विधानों को व्यवस्थित रूप प्रदान किया। प्रथम खंड में गृहस्थ-जीवन के सोलह संस्कार, द्वितीय खंड में जैनमुनि-जीवन के विधि-विधानों का तथा इस तृतीय खंड में प्रतिष्ठा-विधि, शान्तिक-कर्म, पौष्टिक-कर्म, बलि-विधान, जो मूलतः कर्मकाण्डपरक हैं, का उल्लेख है। इसके चतुर्थ खंड में प्रायश्चित्त-विधि, षडावश्यक-विधि, तप-विधि और पदारोपण-विधि - ये चार प्रमुख उल्लेखित हैं, जो श्रावक एवं मुनि-जीवन की साधना से संबंधित हैं। प्रज्ञासम्पन्न, ज्ञानोपासक डॉ. सागरमलजी के ज्ञान-गुण से निसरित ज्ञानरश्मियों का साध्वी मोक्षरत्नाश्रीजी ने भरपूर उपयोग कर आचारदिनकर जैस गुरुत्तर ग्रन्थ का भाषांतर राष्ट्रभाषा (हिन्दी) में किया है, जो चार खण्डों में प्रकाशित हो रहा है। यह कार्य श्लाघनीय एवं सराहनीय है। साध्वी मोक्षरत्नाश्रीजी का यह पुरुषार्थ व्यक्ति की धवलता को ध्रुव बनाने में सहयोगी बने, ऐसी शुभेच्छा सह शुभाशीष है। वीर निर्वाण दिवस कार्तिक कृष्ण अमावस्या विक्रम संवत् २०६३ जिनमहोदयसागरसूरि चरणरज मुनि पीयूषसागर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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