Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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"एक स्तुत्य प्रयास"
सम्यक् दर्शन ज्ञान है, सम्यक् चारित्र के आधार
सफल जीवन के सूत्र दो संयम और सदाचार उच्च हृदय के भाव हों और हों शुद्ध विचार
__ अनुकरणीय आचार हो, हो वंदनीय व्यवहार जैन गृहस्थ हो या मुनि, उच्च हों उसके संस्कार
इस हेतु 'आचारदिनकर' बने जीवन-जीने का आधार
“आचारदिनकर" ग्रंथ जैन साहित्य के क्षितिज में देदीप्यमान दिनकर की भांति सदा प्रकाशमान रहेगा। जैन-गृहस्थ एवं जैन-मुनि से सम्बन्धित विधि-विधानों एवं संस्कारों का उल्लेख करने वाला श्वेताम्बर-परम्परा का यह ग्रंथ निःसंदेह जैन-साहित्य की अनमोल धरोहर है। यह जैन-समाज में नई चेतना का संचार करने में सफल हो, साथ ही जीवन जीने की सम्यक् राह प्रदान करे। यह प्रसन्नता का विषय है कि विदुषी साध्वी मोक्षरत्नाश्रीजी द्वारा अनुवादित आचारदिनकर के अनुवाद का प्रकाशन बहुत सुंदर हो, यह शुभाषीश है। आपके प्रयासों हेतु कोटिशः साधुवाद ।
गुरु विचक्षणचरणरज चन्द्रकलाश्री एवं सुदर्शनाश्री
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