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निवेदन।
neter इस ग्रन्थके कर्ता प्रसिद्ध तार्किक श्रीवादिराजसूरि हैं जिनका विस्तृत परिचय इस ग्रन्थमालाके चौथे ग्रन्थ पार्श्वनाथचरितकी भूमिकामें दिया जा चुका है । यह ग्रन्थ अभीतक अप्राप्य था। इसका सम्पादन और संशोधन एक ही प्रतिपरसे किया गया है जो जयपुरके एक जैन-मन्दिरके पुस्तक-भण्डारसे प्राप्त हुई थी और प्रायः शुद्ध थी। इसके लिए उक्त भण्डारके अधिकारियोंको शतशः धन्यवाद ।
-~-मंत्री।
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