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ता/ ताम्रो / ताउ
ता/ ताओ / ताउ
1. हे
वयं
तुन्भे
तुम्हे
तुज्भे
हिन्ति / ठाहिन्ते / ठाहिरे या ठाहिइरे
ठासन्ति / ठास्सन्ते / ठास्सिइरे ठारिसन्ति / ठारिसन्ते / ठास्सिइरे
हो हिन्ति / होहिते / हो हिरे या होहिइरे
हो सन्ति / होस्सन्ते / होस्सइरे होस्सिन्ति / होस्सिन्ते / होस्सिइरे
= हम दोनों / हम सब
उत्तम पुरुष
= तुम दोनों / तुम सब
2. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं ।
3. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं ।
4. भविष्यत्काल के प्रत्यय
= वे दोनों (पुरुष) / वे सब ( पुरुष )
ता/ ताश्रो / ताउ = वे दोनों (स्त्रियाँ) / वे सब (स्त्रियाँ)
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उत्तम पुरुष बहुवचन
मध्यम पुरुष बहुवचन
=
( पाठ 19 से 26 तक )
वे दोनों (पुरुष) ठहरेंगे । वे सब ( पुरुष ) ठहरेंगे ।
दोनों (स्त्रियाँ) ठहरेंगी । वे सब (स्त्रियाँ) ठहरेंगी ।
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वे दोनों (पुरुष) होंगे ।
वे सब ( पुरुष ) होंगे । वे दोनों (स्त्रियाँ) होंगी । वे सब (स्त्रियाँ) होंगी ।
अन्य पुरुष बहुवचन
एकवचन हि, स्सा, सि, हा,
स्सं (पूर्ण प्रत्यय)
मध्यम पुरुष
हि स्स, सि
हि, स्स, सि
"
अन्य पुरुष हिस्स, सि नोट - मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष में पृष्ठ 770 ) तथा पं बेचरदासजी ने भी इसे स्वीकार किया है (प्राकृत मार्गोपदेशिका, पृष्ठ 249), 'स्सि' (हे. प्रा. व्या., 4-275 ) ।
'स प्रत्यय को
पिशल ने माना है (पिशल,
प्राकृत रचना सौरभ ]
पुरुषवाचक
सर्वनाम
बहुवचन
बहुवचन हि, स्सा, सि, हा
हिस्सा, हित्था (पूर्ण प्रत्यय)
हि स्स, सि
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