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2. (i) भविष्यकाल के अन्य पुरुष बहुवचन में हि, स्स, स्सि प्रत्यय क्रिया में जोड़े जाते हैं
इनको जोड़ने के पश्चात् वर्तमानकाल के अन्य पुरुष बहुवचन के प्रत्यय न्ति, न्ते,
इरे भी जोड़ दिये जाते हैं । ___ (ii) हि, स्स प्रत्यय क्रिया में जोड़ने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' और 'ए' हो
जाता है (ऊपर केवल 'इ' के रूप ही दिये गये हैं) । (iii) 'स्सि' प्रत्यय क्रिया में जोड़ने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' ही होता है। (iv) पिशल ने 'स्त' प्रत्यय का विध न किया है-करिस्सन्ति (प्रा मा व्या., पृष्ठ
770)। बेचरदास जी ने प्राकृत मार्गोपदेशिका में अन्य पुरुष बहुवचन में 'स्स' प्रत्यय माना है (पृष्ठ 249)।
3. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं ।
4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं ।
5. सोच्छ, वोच्छ, रोच्छ आदि क्रियानों में भविष्यत्काल के हि' प्रत्यय का लोप
करके केवल वर्तमानकाल के प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं और अन्त्य अ' का 'इ' या 'ए' हो जाता है -- सोच्छिन्ति/सोच्छिन्ते/सोच्छिइरे, सोच्छन्ति/सोच्छन्ते/सोच्छेइरे । सोच्छिहिन्ति आदि रूप भी बनते हैं (हे. प्रा. व्या., 2-172)।
अर्द्धमागधी में सोच्छ, रोच्छ, वोच्छ आदि क्रियाओं में वर्तमानकाल का 'न्ति' प्रत्यय जोड़ देने से भविष्यत्काल का रूप बन जाता है । जैसे वोच्छन्ति, रोच्छन्ति, सोच्छन्ति (घाटे, पृष्ठ 121)।
प्राकृत रचना सौरभ ]
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