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पाठ 47 क्रियाएँ और उनका भाववाच्य में प्रयोग संज्ञाएँ
सर्वनाम अकारान्त पुल्लिग नरिंद अम्ह→प्रहं हं अम्मि (पुरुषवाचक सर्वनाम,
उत्तम पुरुष, प्रथमा एकवचन) अकारान्त नपुंसकलिंग कमल तुम्ह-तुम तु/तुह (पुरुषवाचक सर्वनाम,
__ मध्यम पुरुष, प्रथमा एकवचन) आकारान्त स्त्रीलिंग ससा त→सो (पुरुष) । (पुरुषवाचक सर्वनाम,
तासा (स्त्री) 5 अन्य पुरुष, प्रथमा एकवचन)
क्रियाएँ
हस-हंसना, वड्ढ=बढ़ना,
जग्ग=जागना विप्रस=खिलना
उपर्युक्त क्रियाएँ अकर्मक हैं। अकर्मक क्रियाएँ कर्तृवाच्य और भाववाच्य में प्रयुक्त होती हैं । अकर्मक क्रियाओं का कर्तृवाच्य में प्रयोग बताया जा चुका है। अकर्मक क्रिया से भाववाच्य बनाने के लिए 'इज्ज', 'ईप्र/ईय' प्रत्यय जोड़े जाते हैं । भाववाच्य में कर्ता में तृतीया (एकवचन अथवा बहुवचन) हो जाता है और क्रिया में भाववाच्य के प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् 'अन्य पुरुष एकवचन' (अ.पु.ए.) के प्रत्यय (इ/ए/दिदे) लगा दिए जाते हैं। भाववाच्य वर्तमानकाल, भूतकाल तथा विधि एवं प्राज्ञा में बनाया जाता है । भविष्यत्काल भाववाच्य में क्रिया का भविष्यत्काल कर्तृवाच्य का रूप ही रहता है, उसमें 'इज्ज' आदि प्रत्यय नहीं लगते । भूतकाल के लिए भूतकालिक कृदन्त का भी प्रयोग भाववाच्य में किया जा सकता हैं ।
भाववाच्य के प्रत्यय
हस
वर्तमानकाल (अ.पु.ए.)
भूतकाल (अ.पु.ए.)
विधि एवं प्राज्ञा (अ.पु ए.)
इज्ज
हसिज्ज
हसिज्जइ
हसिज्जई हसिज्जदि ) आदि (हसिज्जी)) हसीअइ/हसीअदि हसीआईअ (हसीईअ)
हसिज्जउ । हसिज्जदु। हसीअउ हसीअदु
ईग्र/ईय हसीग्र/हसीय
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[ प्राकृत रचना सौरभ
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