Book Title: Prakrit Rachna Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 264
________________ क्र.सं. + 2 3 4 vi t. 2. 3. 4. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. i6. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26. 27. 28. 29. 30. क्रिया अच्च अस श्रागच्छ इच्छ उग्घाड उप्पाड उवयर श्रोणंद कट्ट कर कलंक कह कीरण कुट्ट कोक्क खंड खण खम खा खिस खिव गच्छ गरण गरह गवेस J गा गान "" गुध चक्ख चर प्राकृत रचना सौरभ ] Jain Education International 2010_03 सकर्मक क्रियाएँ अर्थ पूजा करना खाना अना इच्छा करना खोलना, प्रकट करना उपाड़ना, उन्मूलन करना उपकार करना अभिनन्दन करना काटना करना कलंकित करना कहना खरीदना कूटना बुलाना टुकड़ा करना i खोदना क्षमा करना खाना निन्दा करना फ्रैंकना जाना गिनना निन्दा करना खोज करना + गाना गाना गूंथना / गठना चखना चरना For Private & Personal Use Only पृष्ठ संख्या 119 128 136 128 119 119 119 128 119 128 119 128 136 119 119 136 119 136 113, 128 136 136 136 136 119 119 128 136 136 119, 136 113 [ 247 www.jainelibrary.org

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