Book Title: Prakrit Rachna Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 271
________________ क्र. सं. 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9: 10! 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 254 ] पृष्ठ संख्या 32 23 से 49 37 38 41 41 41 41 44 46 54 54 60 61 91 110 130 132 140 224 Jain Education International 2010_03 शुद्धि-पत्र पंक्ति संख्या 5 ( पादटिप्पण ) 3 18 4 6 6 7 20 13 7 15 12 13 24 20 से 24 5 21 29 प्रशुद्ध तें / ताओ / ताउ घाटे 'सि' 'सि' इनको जोड़ने के पश्चात् हि, स्स, 'दि' सन्दर्भ नहीं दिया सि स्सि लुक्कि हिइत्था धक्कधि तुहुं प्रकारान्त कवंत विश्वसताई ससान / ससाइ / संसाए कइउ / कइओ कइउ / कइ रक्खणीयो लिंग नहीं दिया For Private & Personal Use Only शुद्ध ता/ ताओ / ताउ घाटगे 'स्सि 'रिस' 'हि' 'स्स' जोड़ने के पश्चात् हि, स 'ति' प्राकृत मार्गोपदेशिका दोशी, 250 स्सि लुक्कि हित्या थक्कवि तुह प्रकारान्त कियंत विश्रसंताई साहि / साहि साहिँ कउ / क कउ / को रक्खणीया पु. [ प्राकृत रचना सौरभ www.jainelibrary.org

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