________________
(ii) अकारान्त नपुंसकलिंग ( द्वितीया एकवचन )
करहो
तिणं
नरिंदो रज्जं
माया भोयणं
(iii) प्राकारान्त स्त्रीलिंग
(द्वितीया एकवचन)
मायं
सिक्खं
कहं
1.
नरदो
रज्जं
माया
(iv) पुरुषवाचक सर्वनाम
( द्वितीया एकवचन )
श्रहं / हं/श्रम्मि
तुमं / तुं / तुह
सो
सा
114
तुमं / तु
ममं / मं / म
तं
तं
चरइ / चरदि/प्रादि
रक्खइ / रक्खदि / आदि
खाइ / खादि / आदि
1
वर्तमानकाल
वर्तमानकाल
Jain Education International 2010_03
परमइ / परणमदि / आदि
जाइ / जादि / आदि
सुरण / सुरदि / आदि
पणमामि / श्रादि
पालसि / आदि
जाणइ / जारण दि/आदि
जार इ/ जादि / प्रदि
रक्खइ / रक्खदि / आदि
ऊंट घास चरता है
=
= राजा राज्य की रक्षा करता है ।
= माता भोजन खाती है ।
= राजा माता को प्रणाम करता है । = राज्य शिक्षा को समझता है । = माता कथा सुनती है ।
(i) प्रकारान्त पुल्लिंग नपुंसकलिंग शब्दों से द्वितीया एकवचन बनाने के लिए '' (अनुस्वार) जोड़ा जाता है। जैसे-नरिद नरिदं रज्ज - रज्जं ।
= मैं तुमको प्रणाम करता हूँ ।
= तुम मुझको पालते हो ।
= वह उस (पुरुष) को जानता है ।
=
= वह उस (स्त्री) को जानती है ।
= वह उस ( राज्य ) की रक्षा करता है ।
(ii) आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों से द्वितीया एकवचन बनाने के (अनुस्वार) जोड़ा जाता है, किन्तु अनुस्वार ( - ) जाता है, अर्थात् दीर्घ शब्द ह्रस्व हो जाता है । कहाकहं ।
(iii) उत्तम पुरुष सर्वनाम का द्वितीया एकवचन - ममं / मं / म मध्यम पुरुष सर्वनाम का द्वितीया एकवचन - - तुम / तु
अन्य पुरुष ( पुल्लिंग, स्त्री, नपुं. ) सर्वनाम का द्वितीया एकवचन-तं
लिए भी ' जोड़ने पर श्राश्र हो जैसे - माया मायं,
For Private & Personal Use Only
[ प्राकृत रचना सौरभ
www.jainelibrary.org