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मागधी में 'स' के स्थान पर 'श', 'र' के स्थान पर 'ल' का उच्चारण होता है। अतः मागधी में 'पुरुष ' का 'पुलिश' और 'राजा' का 'लाजा' रूप पाया जाता है, जबकि महाराष्ट्री में 'पुरिस' और 'राया' रूप बनता है। जहाँ अर्धमागधी में 'त' श्रुति की प्रधानता है और व्यंजनों के लोप की प्रवृत्ति अल्प है, वहीं शौरसेनी में 'द' श्रुति की और महाराष्ट्री में 'य' श्रुति की प्रधानता पायी जाती है तथा लोप की प्रवृत्ति अधिक है। दूसरे शब्दों में, अर्धमागधी में 'त' यथावत् रहता है, शौरसेनी में 'त' के स्थान पर 'द' और महाराष्ट्री में लुप्त व्यंजन के बाद शेष रहे 'अ' का 'य' होता है। प्राकृतों में इन लक्षणगत विशेषताओं के बावजूद भी धातुरूपों एवं शब्दरूपों में अनेक वैकल्पिक रूप तो पाये ही जाते हैं। यहाँ यह भी स्मरण रहे कि नाटकों में प्रयुक्त विभिन्न प्राकृतों की अपेक्षा जैन ग्रन्थों में प्रयुक्त इन प्राकृत भाषाओं का रूप कुछ भिन्न है और किसी सीमा तक उनमें लक्षणगत बहुरूपता भी है, इसीलिए जैन आगमों में प्रयुक्त मागधी को अर्द्धमागधी कहा जाता है, क्योंकि उसमें मागधी के अतिरिक्त अन्य बोलियों के प्रभाव के कारण मागधी से भिन्न लक्षण भी पाये जाते हैं। जहाँ तक अभिलेखीय प्राकृतों का प्रश्न है, उनमें शब्दरूपों की इतनी अधिक विविधता या भिन्नता है कि उन्हें व्याकरण की दृष्टि से व्याख्यायित कर पाना सम्भव ही नहीं है, क्योंकि उनकी प्राकृत साहित्यिक प्राकृत न होकर स्थानीय बोलियों पर आधारित
यापनीय एवं दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थों में जिस भाषा का प्रयोग हुआ है, वह जैनशौरसेनी कही जाती है। उसे जैन-शौरसेनी इसलिये कहते हैं कि उसमें शौरसेनी के अतिरिक्त अर्धमागधी के भी कुछ लक्षण पाये जाते हैं। उस पर अर्धमागधी का स्पष्ट प्रभाव देखा जाता है, क्योंकि इसमें रचित ग्रन्थों का आधार अर्धमागधी आगम ही थे। इसी प्रकार, श्वेताम्बर आचार्यों ने प्राकृत के जिस भाषायी रूप को अपनाया, वह जैनमहाराष्ट्री कही जाती है। इसमें महाराष्ट्री के लक्षणों के अतिरिक्त कहीं-कहीं अर्धमागधी
और शौरसेनी के लक्षण भी पाये जाते हैं, क्योंकि इसमें रचित ग्रन्थों का आधार भी मुख्यतः अर्धमागधी और अंशतः शौरसेनी साहित्य रहा है।
अतः, जैन परम्परा में उपलब्ध किसी भी ग्रन्थ की प्राकृत का स्वरूप निश्चित करना एक कठिन कार्य है, क्योंकि श्वेताम्बर और दिगम्बर-दोनों परम्पराओं में कोई भी ऐसा ग्रन्थ नहीं मिलता, जो विशुद्ध रूप से किसी एक प्राकृत का प्रतिनिधित्व करता हो।