Book Title: Paumchariu Part 1 Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 5
________________ प्राथमिक वक्तव्य महाकवि स्वयम्भू और उनकी दो 'विशाल अपभ्रंश रचनाओंपतमचरित और हरिवंश-पुराणके सम्बन्धमें बहुत कुछ लिखा जा चुका है। इनका सर्वप्रथम परिचय-"Svayambhu and his two poems is Apabhransa" by H. L. Jain ( Nagpur University Prernal. uml. !. !935 द्वारा प्रकाशित हुया ! कबिके एक छन्दअन्यका मम्वेषण कर उसका उपलम्य भाग डॉ. एच. डी. वेलणकरने सम्पादित कर प्रकाशित कराया (वं. रा. ए. सो. जर्नल १९३५ और १९३६) । तत्पश्चात् सन् १९४० में प्रो. मधुसूदन मोदीका 'चतुर्मुख स्वयंभू अने त्रिभुवन स्वयंभू' शीर्षक लेख भारतीय विद्या अंक २-३ में प्रकाशित हुआ जिसमें लेखकने कविके नामके सम्बन्धमें बड़ी भ्रान्ति को है 1 सन् १९४२ में पं. नायूराम प्रेमीका 'महाकवि स्वयम्भू और त्रिभुवन स्वयम्भू' लेख उनको 'जैन साहित्य और इतिहास' नामक पुस्तकके अन्तर्गत प्रकट हुआ। तत्पश्चात् सन् १९४५ में पं. राहुल सांकृत्यायनका "हिन्दी काव्यधारा' ग्रन्थ प्रकाशित हुआ जिसमें कविको रचनाके काग्यात्मक अवतरण भी उद्धृत हुए । भारतीय विद्या-भवन, बम्बईसे हॉ, एच. सी. भायाणी द्वारा सम्पादित होकर कविका 'पउमचरिज प्रकाशित होना प्रारम्भ हो गया है और अबतक उसके दो भाग निकल चुके है । अतएव प्रस्तुत रचना-सम्बन्धी विशेष जानकारीके लिए यह सब साहित्य देखने योग्य है। कविका दूसरा महाकाव्य 'हरिवंशपुराण' अभी सम्पादन-प्रकाशनको बाट जोह रहा है। प्रस्तुत प्रकाशनमें डॉ, देवेन्द्रकुमारने डॉ. भायाणी द्वारा सम्पादित पाठको लेकर उसका हिन्दी अनुवाद दिया है। इस विषयमें अनुवादकनेPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 371