Book Title: Parshvanath Charitam
Author(s): Bhattarak Sakalkirti, Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 8
________________ प्रस्तावना ११ अपूर्व सेवा की और देश में संस्कृत के पठन-पाठन का जबरदस्त प्रचार किया। पार्श्वनाथ चरित आपकी प्रसिद्ध रचना है । जिसके स्वाध्याय का देश एवं समाज में अत्यधिक प्रचार है । सकलकीर्ति ने अपने पूर्वाचार्यों के अनुसार पुराण एवं काव्य दोनों की सम्मिलित शैली में भगवान पार्श्वनाथ के जीवन पर काव्य रचना की। जैनाचार्यों एवं सन्तों तथा विद्वानों के लिये भगवान पार्श्वनाथ का जीवन अत्यधिक लोकप्रिय रहा है। यही कारण है कि अनेक आचार्यों एवं कवियों ने उनके जीवन पर कितने ही काव्य एवं पुराण लिखे, कथा काव्य लिखे एवं अन्य काव्य रूपों के माध्यम से जन साधारण में पार्श्वनाथ के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा एवं भक्ति प्रदर्शित की। राजस्थान के ग्रन्थ संग्रहालयों में भगवान पार्श्वनाथ के जीवन पर जो काव्य, चरित एवं पुराण उपलब्ध हुए हैं उनका विवरण निम्न प्रकार हैसंस्कृत भाषा अपभ्रंश भाषा: १. पार्वाभ्युदय जिनसेनाचार्य ८. पासणाहचरिउ परकीर्ति २. पार्श्वनाथ चरित्र वादिग़जसरि ( सन् १०२५) ९. पासचरिउ ३. पार्श्वनाथ चरित्र भ० सकलकति १०. पासमाहधास्त पर ४, पार्श्वनाथ काठ्य पंजिका भ० शुभचन्द्र ११. पासणाहचरिठ देवचन्द्र ५. पार्श्वनाथपुराण पार्श्वपंडित १२. पासणाहचरिउ असवालकवि ६. पार्श्वपुराण वादिचन्द्र (वि० सं० १६५१) १३. पासणाहचरिउ मुनि पद्मनन्दि ७, पार्श्वपुराण चन्द्रकीर्ति १४. पासपुराण तेजपाल हिन्दी भाषा पार्श्वपुराण भूघरदास, रचना सं० १७८९ पार्श्वनाथरास ब्र० कपूरचन्द, रचना सं० १६५६ पार्श्वनाथ चरिउ विश्वभूषण उक्त प्रन्थों के अतिरिक्त गुणभद्राचार्य के उत्तरपुराण, पुष्पदंत के महापुराण, हेमचन्द के त्रिषष्टि - शलाकापुरुषचरित आदि ग्रन्थों में भी भगवान पार्श्वनाथ के जीवन पर विस्तृत वर्णन मिलता है 1 भद्रारक सकलकीर्ति के पर्व संस्कत में जिनसेनाचार्य का पाश्र्वाभ्यदय तथा वादिराज सरि का पार्श्वनाथचरित जैसे काव्य निबद्ध हो चुके थे तथा आचार्य गुणभद्र का उत्तरपुराण एवं हेमचन्द्र का 'त्रिप्टिंशलाकापुरुषचरित' जैसे काव्य सामने आ चुके थे। यही नहीं, अपभ्रंश के तो पुष्पदन्त, पदमकीर्ति, श्रीधर जैसे महाकवियों के काव्य एवं पराणों का उन्होंने अध्ययन कर लिया होगा। इस प्रकार यह कहना सत्य प्रतीत होगा कि भट्टारक सकलकोर्ति के पूर्व ही पार्श्वनाथ का जीवन काव्य निर्माण के लिए अत्यधिक लोकप्रिय बन गया था। और उनके जीवन पर काव्य निर्माण करना विद्वत्ता की कोटि में गिना जाने लगा था तथा किसी विद्वान के लिये महाकवि कहलाने के लिए आवश्यक समझा जाने लगा था। इसलिए भट्टारक सकलकीर्ति ने भी भगवान पार्श्वनाथ के जीवन पर काव्य निर्माण करके उनके चरणों में अपनी भक्ति के पुष्प समर्पित किये।

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