Book Title: Panchsangraha Part 10
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह : १०
____ आयोगिकेवलीगुणस्थान-इस गुणस्थान में आठ और नौ प्रकृतिक इस प्रकार दो उदयस्थान होते हैं । इनमें से आठ प्रकृतियों का उदय सामान्य अयोगिकेवली और नौ प्रकृतियों का उदय तीर्थंकर अयोगिकेवली को होता है तथा अस्सी, उन्यासी, छियत्तर, पचहत्तर, नौ और आठ प्रकृतिक ये छह सत्तास्थान होते हैं। उनमें से आठ प्रकृतिक उदयस्थान में उन्यासी, पचहत्तर और आठ प्रकृतिक ये तीन तथा नौ प्रकृतियों के उदय में अस्सी, छियत्तर और नौ प्रकृतिक ये तीन सत्तास्थान होते हैं तथा इनमें से भी आदि के दो-दो अयोगिकेवली के द्विचरम समय पर्यन्त और अंतिम समय में तीर्थंकर केवली को नौ प्रकृतिक एवं सामान्य केवली को आठ प्रकृतिक सत्तास्थान होता है।
उक्त कथन का सुगमता से बोध कराने वाला प्रारूप इस प्रकार हैअयोगिकेवली गुणस्थान में नामकर्म के उदय व सत्तास्थानों के
संवेध का प्रारूप
बंधस्थान
उदयस्थान
सत्तास्थान
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८०, ७६, ६ प्र. ७६, ७५, ८,
योग x
इस प्रकार से गुणस्थानों में नामकर्म के बंध, उदय और सत्तास्थान और उनके संवेध का निरूपण जानना चाहिये।।
१ गुणस्थानापेक्षा दिगम्बर साहित्य में वर्णित नामकर्म के बंध, उदय और
सत्तास्थानों का विचार परिशिष्ट में देखिये ।
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