Book Title: Panchsangraha Part 10
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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बंधस्थान
भांग
भंग प्राप्ति
प्रायोग्य बध में
३८०
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मनुष्यगतिप्रायोग्य बंध में (४६१७)
२५ प्र.
प्रतिपक्ष प्रकृति के अभाव से
अपर्याप्त मनुष्यगति प्रायोग्यबंध पर्याप्त मनुष्यगति प्रायोग्यबध
२६ प्र.
४६०८
तिर्यंच पचेन्द्रिय वत्
३० प्र.
८
स्थिर.अस्थिर , शुभ, अशुभ x यश. अयश. =८ | तीर्थ. सह. प. प्रा.
४६१७
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नरकगति प्रायोग्य बंध में (१)
२८ प्र.
१
सर्व अशुभ प्रकृतियां होने से
नारक प्रायोग्य बंध
देवगति प्रायोग्य बंध में (१८)
यश अयश.
२८ प्र.
स्थिर अस्थिर शुभ-अशुभ २२
देवप्रायोग्य बंध में
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पंचसंग्रह : १०