Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s):
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
(१७) नन्त-धर्म-शान्ति-कुन्थु-अर-मल्लिमुनिसुव्रत-नमि-नेमि-पार्थ-वईमानान्ता जिनाः शान्ताः शान्तिकरा नवन्तु, स्वाहा ॥ ॐ मुनयो मुनिप्रवरा रिपुविजयनिंदकान्तारेषु मुर्गमार्गेषुरदन्तु वो नित्यं स्वादा॥ीश्रीधृति-मति-कीर्तिकांति-बुद्धि-लक्ष्मी-मेधा-विद्यासाधनप्रवेश-निवेशनेषु सुगृहीतनामानो जयन्तु ते जिनेन्जाः॥ ॐ रोहिणी-प्रज्ञप्ति-वज्रशृङ्खला-वज्राङ्कशी-अप्रतिचक्रा-पुरुषदत्ता-काली-महाकाली-गौरी-गान्धारीसर्वास्त्रा महाज्वाला-मानवी-वैरोट्या-अgप्ता-मानसी-महामानसी षोमश विद्यादेव्यो रदन्तु वो नित्यं स्वाहा ॥ 3 आचार्योपाध्यायप्रतिचातुर्वर्णस्य श्रीश्रमणसवस्य शान्तिनवतु तुष्टिर्नवतु पुष्टिर्नवतु॥ ॐ ग्रहाश्चन्प्रसूर्याङ्गारकबुधबृहस्पतिशुक्र
-poope
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232