Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s):
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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Arutam
(१६) त्वमेव जुवनेऽत्र नवान्तरेऽपि ॥४२॥ इत्थं समादितधियो विधिवजिनेन् !, साहोलसत्पुलककञ्चकिताङ्गनागाः। त्वद्बिम्बनिर्मलमुखाम्बुजबलदा, ये संस्तवं तव विनो! रचयन्ति नव्याः॥४३॥ जननयनकुमुदचन्प्रनास्वराः स्वर्गसंपदो जुक्त्वा । ते विगलितमलनिचया, अचिरान्मोदं प्रपद्यन्ते ॥ युग्मम् ॥४४॥ ॥शति श्रीकल्याणमन्दिरं संपूर्णम् ॥७॥
अथ म्होटी शान्तिः नो नो नव्याः! शांत वचनं प्रस्तुतं सर्वमेतद्, ये यात्रायां त्रिभुवनगुरोरार्दता नक्तिनाजः। तेषां शान्तिवतु नवतामईदादिप्रनावा-दारोग्यश्रीधृतिमतिकरी क्लेशविध्वंसदेतुः ॥२॥ नो नो नव्यलोका! इद दिनरतैरावतविदेदसंनवानां समस्ततीर्थकृतां जन्मन्यासनप्रकम्पान
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