Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s): 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 227
________________ (२१५) मागी यथाशक्ति पच्चरकाण करवं. पबीब आवश्यक देव सिवनी पेठे संजारवां पड़ी " - छामो अणुसहि” कही बेसीने नमो खमासमणाणं नमोऽहत्। कही विशाललोचनदलं० कहेवू, (अहीं स्त्रीए संसारदावानी त्रणथोय कहेवी) परी नमुत्थुणं कही उत्ता थर अरि० अन्नत्य एक नवकारनो कालस्सग्ग करी पारी, नमोऽर्हत् कही, कल्लाणकंदनी प्रथम थोय कहेवी. पनी लोगस्स, पुरस्करवरदी० सिझाणं बुझाणं कहेवा पूर्वक देववंदन करीए बीए ते विधिए देवसि प्रतिक्रमणनी पेरे कबाणकंदंनी चोथी थोय कहेवा पर्यंत सर्व विधि करवी.पबी बेसीने नमुत्थुणं कही जगवानादि चारने थोजवंदन करवू. पठी जमणो हाथ उपधि उपर स्थापी, अवाश्ोसु कहे. पड़ी बंने ढींचण नूमि पर स्थापी शानकोण सन्मुख बेसी या ते दिशा सनमा चितवीन खमासमण दश् श्रीसीमंधरस्वामिनु चैत्यवंदन, स्तवन, जयवीयराय, थोय पर्यंत विधि पूर्वक करवू; तेमां अरिहंत चे श्री उना थश्ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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