Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s):
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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( २१४ ) बेसीने त्रीजा घ्यावश्यकनी मुहपत्ति पमिलेहवी. पठी उजा थर वांदणां वे देवां पठी “इछाकारेण संदि० जग० राश्यं श्रालोनं ? छं” थालोए मि जो मे राइ० नो पाठ कदेवो; पछी सातलाख, ढार पापस्थानक, "सबस्सवि राज्य० " देवसि प्रतिक्रमणनी पेठे कहेतुं पठी बेसीने वीरासन (?) न यावडे तो जमणो ढींचण उनो राखी नवकार, करेमिनंते, इछामि पमिक्कमिजं जो मे राइ० कही वंदित्तु कहेवुं. ४३ मी गायामां "अजुमि ” पद कहेतां उजा थर वंदित्तु पुरुं कही, वांदणांवे देवां पठी - वग्रहमांज रही श्रादेश मागी अन्नुहि मि० खामीने श्रवग्रह बहार नीकली वांदणां वे देवां. पठी आयरिय उवज्जाए कहेवुं. पठी श्वामिगमि० तस्स० [अन्नत्य० कही सोल नवकारनो काउस्सग्ग करी ( यत्र तपचिंतवणीनो काउरसग्ग करवानो वे ) पारी, प्रगट लोगस्स कड़ी बेसीने वा आवश्यकनी मुहपत्ति पहिलेही ने उजा थइने वांदणां वे देवां पढी अवग्रहनी अंदर रहीने सकलतीर्थ कहेतुं पढी श्रादेश
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