Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s): 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 224
________________ ( २१२ ) सामायिक पार्यु. तहत्ति " कहीं, सामायिक पारवानी विधि प्रमाणे सामाश्यवयजुत्तो० कहेवा पर्यंत सर्व कहेवुं. पढी स्थापना स्थापी होय तो जमणो हाथ सवलो स्थापनाजी सन्मुख राखी एक नवकार गणो इति. ॥ अथ राइ प्रतिक्रमण विधि ॥ प्रथम पूर्व रीतिए सामायिक लेवुं, पढी खमासमण दई " इछाकारेण सं दिसह जगवन् ! कुसुमिल सुमिण उड्डावणी राइपायच्छित्त विसोहृणत्थं काउस्सग्ग करूं? इछं, कुसुमिण डुसुमिलउड्डावणी राइपाय च्छित्त विसोहणत्थं करेमि काउस्सगं" एस कही अन्नत्थकही काम जोगादिनां ते रात्रिए कुस्वप्न श्राव्यां होय तो सागरवरगंजीरां सुधी ने बीजां दुःस्वप्न - व्यां होय तो चंदेसु निम्मलयरा सुधी चार लोगस्स या सोल नवकारनो काउस्सग्ग करी, पा १ हावणी अगर उड्डावणी. २ काम जोगादि कुस्वप्न श्राव्यां होय तो चंदेसुनिम्मलयरा सुधी चार लोगस्स ने एक नवकारनो काउस्सग्ग करवानो पण विधि बे. ३ न व्यां होय तो पण. Jain Education International ! For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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