Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s):
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
(२००) ॥ अथ सामायिक पारवानो विधि ॥ प्रथम चरवलो लश् उन्ना यश् खमासमण द
शरियावहि पमिकमी यावत् कास्सग्ग करी लोगस्स कही खमासण द"श्चाकारेण संदिसह नगवन् ! मुहपत्ति पमिले हुँ ? श्वं" कही,मुहपत्ति पमिलेही खमासमण दर "इछाकारेण संदिसह जगवन् ! सामायिक पारं' ?” गुरुए आदेश डा. प्या पनी यथाशक्ति कही खमासमण दर “इनाकारेण संदिसह नगवन् !सामायिक पायु” कही कंश्क विसामा पठी तहत्ति कही पली जमणो हाथ चरवला उपर अथवा कटासणा उपर स्थापी एक नवकार गणी ‘सामाश्यवयजुत्तो' कहेवो, पली जमणो हाथ स्थापना सामे सवलो राखीने एक नवकार गणवो,अहीं उपरा उपर त्रण सामायिक के बे सामायिक करवां होय तो दरेक सामायिक खेता लेवानी विधि करवी, पण वखतो वखत पारवू नही.बे सामायिक करवां होय, तो वे पूरा थ
१ अहीं गुरु 'पुणोवि कायव्वो' कहे. २ अहीं गुरु 'आयारो न मोत्तव्यो' कहे.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232