Book Title: Panchpratikramanadi Stotrani
Author(s):
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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(२०४) पड़ी रियावही पमिकमी काजो काढी, जीव कलेवर सचित्त आदि जोवू, पबी काजो काढनार स्थापनाजी सामो उनो रही, इरियावही पमिकमी, काजो परउववा जग्या शोधी, त्रणवार 'अणुजाणह जस्सुग्गहों कही काजो परवीने पनी त्रण वार “वोसिरे” कहे ॥ इति ॥
॥ अथ देववांदवानो विधि ॥ ॥ प्रथम इरियावही पमिकमवाथी मामीने यावत् लोगस्स कही, पठी उत्तरासण नाखी, चैत्यवंदन, ६ नमत्थणं" कही. " जयवीयराय थानवमखंमा " सुधी हाथ जोमी कहे. वली फरी" चैत्यवंदन” कहीने “नमुत्थुणं” कही, यावत् चार थोयो कहीये तिहां सुधी बधुं कहेवू; पड़ी"नमुत्थुणं०"कही, वली चार थोयो कहीये त्यां सुधी बधुं कहेवू; पली "नमुत्थुणं०” तथा बे " जावंति "क ही, स्तवन कही, “जयवीयराय आनवमखंडा" सुधी कही, पनी " चैत्यवंदन” कही, "नमुत्थुणं" कही, पाखा “ जयवीयराय" कहेवा.पली श्छा सज्जाय करूं कही नवकार
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