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श्रीपञ्चास्तिकाय समयसारः ।
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भूत वर्त्तना लक्षण हो. जैसें आकाश धर्म अधर्म इनके विशेषगुण अन्यद्रव्योंको अवकाश, गमन, स्थानको सहाय देना है. तैसें ही कालद्रव्य अन्य द्रव्योंके परिणमावनेको सहाय है । और उपादान अपनी परिणतिको आप ही सब द्रव्य हैं । उपादान एक द्रव्यको अन्य द्रव्य नहिं होता । कथंचित्प्रकारनिमित्तकारण अन्य द्रव्यको अन्य पदार्थ होता है. अवकाश गति स्थिति परणतिको आकाश आदिक द्रव्य कहे हैं. और जो अन्य द्रव्य निमित्त न माना जाय तो जीव और पुद्गल दो ही द्रव्य रह जाय. ऐसा होनेसे आगम विरोध होय और लोकमर्यादा न रहै, लोक षड्द्रव्यमयी है, यह सब कथन निश्चय कालका जानना - अब व्यवहारकालका वर्णन किया जाता है.
समओ णिमिसो कट्ठा कला य णाली तदो दिवारती । मासोदुअयणसंवच्छरोत्ति कालो परायत्तो ॥ २५ ॥
संस्कृतछाया.
समय निमिषः काष्टा कला च नाली ततो दिवारात्रं । मासत्वयनसंवत्सरमिति कालः परायत्तः ॥ २५ ॥
पदार्थ - [ कालः इति ] यह व्यवहार काल [परायत्तः ] यद्यपि निश्चयकालकी समपर्याय है तथापि जीव पुद्गल के नवजीर्णरूप परिणाम से उत्पन्न हुवा कहा जाता है । अन्यके द्वारा काकी पर्यायका परिमाण किया जाता है, तातैं पराधीन है. सो ही दिखाया जाता है. [ समयः ] मंदगति से परिणया जो परमाणु तिसकी अतिसूक्ष्म चाल जितने में होय सो समय है [निमिषः ] जितने में नेत्रकी पलक खुले उसका नाम निमिष है. असंख्यात समय जब बीतते हैं, तब एक निमिष होता है. और [ काष्टा ] पंद्रह निमिष मिलै तो एक काष्टा होय । [च] और [कला ] जो वीस काष्टा होय तो एक कला होती है । और [नाली ] कहिये कुछ अधिक जो वीस कला बीतै तो एक नाली वा घड़ी होती है. सो जलकटोरी घड़ियाल आदिकसे जानी जाती है । जो दोय घड़ी होय तो मुहूर्त होय । जो तीस महूरत बीत जाय तो एक दिनरात्रि होता है, सो सूर्य की गति से जाना जाता
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है | और [मासर्व्वयनसंवत्सरं ] तीस दिनका महीना, दो महीनेका ऋतु, तीन ऋतुका अयन, दो अयनका एक वर्ष होता है और जहांतांई वर्ष गिने जांय, तहांतांई संख्यातकाल कहा जाता है । इसके उपरान्त पल्य सामर आदिक असंख्यात वा अनंतकाल जानना । यह व्यवहारकाल इसी प्रकार द्रव्यके परिणमनकी मर्यादासे गण लिया जाता है. मूलपर्याय निश्चयकाल है । सबसे सूक्ष्म 'समय' नामा कालकी पर्याय है. अन्य सब स्थूलकालके पर्याय हैं । समयके अतिरिक्त अन्य कालका सूक्ष्म भेद कोई नहीं है । परद्रव्यके परिणमन विना व्यवहारकालकी मर्यादा नहिं कही जाती. इस कारण यह पराधीन है । निश्चयकाल स्वाधीन है ।
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