Book Title: Panchastikay Part 02 Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy View full book textPage 7
________________ प्रस्तुत कृति के दो अधिकारों में से 'नवपदार्थ - अधिकार' प्रकाशित किया जा रहा है। जैन दार्शनिक साहित्य को आसानी से समझने और प्राकृतअपभ्रंश की पाण्डुलिपियों के सम्पादन में पंचास्तिकाय का विषय सहायक होगा। श्रीमती शकुन्तला जैन, एम. फिल. ने बड़े परिश्रम से प्राकृत भाषा सीखने-समझने के इच्छुक अध्ययनार्थियों के लिए 'पंचास्तिकाय (खण्ड-2) नवपदार्थ - अधिकार' का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया है। अतः वे हमारी बधाई की पात्र हैं। पुस्तक- प्रकाशन के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया श्रीमती शकुन्तला जैन के आभारी हैं जिन्होंने 'पंचास्तिकाय ( खण्ड - 2 ) नवपदार्थ-अधिकार' का हिन्दी अनुवाद करके जैन दर्शन व शौरसेनी प्राकृत के पठन-पाठन को सुगम बनाने का प्रयास किया है। पृष्ठ संयोजन के लिए फ्रैण्ड्स कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिए जयपुर प्रिण्टर्स धन्यवादार्ह है। न्यायाधिपति नरेन्द्र मोहन कासलीवाल महेन्द्र कुमार पाटनी मंत्री अध्यक्ष प्रबन्धकारिणी कमेटी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी वीर निर्वाण संवत् - 2541 23.10.2014 डॉ. कमलचन्द सोगाणी संयोजक जैनविद्या संस्थान समिति जयपुरPage Navigation
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