Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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________________ कथा | पृष्ठ | 6 97 118 153 ____62 105 184 श्लोकानामकारादिक्रमेण सूचिः / | श्लोकादि कथा | पृष्ठ | श्लोकादि मह दंसणपरितुट्ठो सेढावरिं सढं कुज्जा महापुरिसमाहप्पं सणंतचक्किणो वुत्तं महोदयमुणिस्सेह सम्मत्तभावभूसिय सम्मत्तम्मि उ लद्धे रज्जे मूढो जीवो सव्वट्ठदेवजोग्गो रण्णुंदुरस्स दिटुंतं सव्वत्थ वायसा किण्हा रायपुत्तिविसल्लाए सव्वसोहणकज्जेसुं सव्वे खामेमाणे लच्छी-सरस्सईणं सहाए एच्च चंडाली लद्धसिवपसाया वि सामाइयम्मि वुड्ढाए लुद्धसागरसेट्ठिणो साहसं विक्कमस्सेह सिद्धायलपहावओ वयवुढा तवोवुड्डा 153 सिद्धिं मणिच्छियाणं वयवुढा तवोवुड्डा 164 सुगस्स मइमंतस्स विक्कमनिवसंबंधं सुट्ठ वाइयं सुट्ट गाइयं विक्कमाइच्चभूवस्स सुणिऊणं इहाणंदविसुद्धं भावणं भव्वा सुवण्णलक्खदाणाओ विहेयव्वा सया धम्मे सूलीभोत्तव्वकम्मं जं वीसल ! तुं विरूवं करेइ 81 सोच्चा आलिंगविप्पस्स वुत्तंवं कट्ठसेट्ठिणो 103 हंतुणो परदुक्खस्स संजमगयदोसाणं हच्चा निवं पइमवेक्ख संजममहाणिपसंगे 142 हत्थिंपि समारूढा संजमसिहरारूढो हत्थे नरकवालं ते सञ्चवेरग्गसंजुत्ता हरिहरबंभाइसुरा सड्ढो गिहे वसंतो वि 106 हरिहराइदेवेसु सेढावरिं सढं कुज्जा , 68 70 73 77 ह 95 36 55 98

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