Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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________________ 201 सद्दकोसो-२ (कथानुक्रमेण) शब्द शब्दार्थ कथा पृष्ठ पंक्ति शब्द शब्दार्थ कथा पृष्ठ पंक्ति वत्थधारगो धा२९॥ अरेसा 104 138 4 -बाहाउलच्छेणं -पायामुक्षथी, -३६नथी 105 142 18 झुणिं 104 139 5 पायपडणं भवन 105 142 18 कोउगविलोयणटुं . औतु हो। भाटे 104 139 8 सोगभरगग्गिरेण 6 वा 43 105 142 21 -गयाગદા 104 139 10 सिटुं धु 105 142 22 लच्छीगोविगाईहिं सभी माहिथी 104 139 11 | पंचत्तं पत्तो भ२५। पाभ्यो 105 142 23 ममच्चया મારી 104 139 15 | आणाइक्खणिज्जवइरित्तो વ્યતિરિક્ત 104 139 15 | संतावं અકથનીય સંતાપ 105 142 24 अच्चब्भुयं मतिमभुत 104 139 17 -पडिहत्थं ભરેલા 105 143 2 मायिल्लो માયાવી 104 139 26 /निष्फत्तिं / નિષ્પત્તિ 105 144 2 मायापवंचं भाया प्रपंयने 104 140 3 |सएज्झियाए પાસે રહેલ 105 144 9 विहरणदिसाहि विहानी हिशानी | आयंतियसुहं આત્યન્તિક સુખ 105145 6 मुही होऊणं ममभुज थन 104 140. 8 गिहकवाडाई ઘરના દરવાજાને 105145 रागद्देसमोहाभिभूए राग-द्वेष-भोथी अभिभूत 104 141 3 कयाणसणो અણસ 105 145 खज्जोयसरिसे धोत(मगिया)समान 104 141 4 वेहाणसेण गणे siसो नवाथी 105 145 अमयपाणं अमृतपान 104 141 5 -भल्लुकपमुहेहिं -शियाण पणे 105 145 17 तिजगसेहरपयं त्रिदान शि५२५६ 104 141 26 |खद्धो मक्षित 105 14520 कहा-१०५ कहा-१०६ कडजोगिदुस्साहूणं गातार्थ साधुमानी. 105 142 4 |चारित्ताराहणोज्जुत्त- यात्रिमाराधनाम भी 106 146 त्रुत्तं કહેલી 105 142 4 कूरगहवसओ 2 ग्रहना // 25 // 106146 वइदेसाए वैशि(अवतानगरी) 105 142 5 ત્યારે 106 146 तयाणगं કરિયાણું 105 142 8 जमभिउडिभंगभीमेहिं यम२४ 4 मयं७२. 106146 13 સ્પષ્ટ 105 142 16 समाढत्तो तैयार थय। 106 146 14 orw990

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