Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 236
________________ 211 કૃપા शब्दार्थ तु औतुवा माटे કૌતુક કોલાહલ 'urlai બખોલનું પોલાણ ५३२भां મ્યાનમાંથી ओपथी बार irauo कथा पृष्ठ पंक्ति 76 66 6 104 139 8 97 116 10 58 83 93 105 6 93 105 8 59 13 11 108 167 3 83 80 17 ख शब्द शब्दार्थ कासवि . किं इमेण रंकरमणेण गरी पतिथी सर्यु किणिउणं ખરીદવા માટે किलिट्ठकम्माइं . सिष्ट भी किवं -किवाए કૃપાથી कीरजुएहिं કીરયુગલને कीरवरमिहुणं १२-पो५८ ५क्षीन युगल कीसंति हु:भी थाय छ कुऊहलवसेण કુતૂહલના કારણે कुऊहलेण કુતૂહલથી कुंजस्थिया | ઉદ્યાનમાં રહેલી कुट्टिऊणं કુટતાં कुट्ठी કોઢીયો कुडिलत्तणं કુટીલતા कुपत्तणेण કુપાત્ર હોવાથી कुरूवा કદરૂપી कुलमज्जायं | કુળ મર્યાદાને कुविंदाणं બ્રાહ્મણનો, પંડિતનો -कुसुमवुट्टिगंधो सुभवृष्टि गंध કબજામાં कूरगहवसओ 2 अडना 125 केलिप्पिय ક્રીડાપ્રિય कोइलरूवेण કોલસારૂપે सद्दकोसो-२ (अकारादिक्रमेण) कथा | पृष्ठ पंक्ति शब्द 100 123 21 कोउगं 94 106 22 | कोउगविलोयणटुं 65 | कोउयगं - 59 16 22 | कोऊहलं 83 80 20 |-कोडरम्मि 62 25 7 कोडरसुसिरं - 68 4024 कोवघरम्मि 68 39 कोसाओ 85 86 कोहारुणलोयणो 68 3920 68 43 4 खज्जोयसरिसे 108 167 7 | खणमित्तेणं 96 115 7 | खद्धो 88 94 8 खमं 108 166 11 | खरारोवियं 91 98 12 | खलंतपाओ। 83 82 2 खल्लीडसीसं 67 37 2 | खालसंठिओ 75 63 11 | खंगाहा 58 10 7 | खुड्डगमुणिणो | खुण्णो 106 146 8 खुद्दवित्ती 107 151 8 | खुहाउरेण 108 176 10 खेयं अधोत(मागिया)समान ક્ષણમાત્રમાં ભક્ષિત ક્ષમા ગધેડા પર બેસાડીને અલના પામતો કેશરહિત મસ્તક ગટરમાં રહેલો જાતિવિશેષ ઘોડાઓ क्षु मुनिनी ઘવાયેલો -તુચ્છ વૃત્તિવાળો ભૂખ્યા પેટે ખેદ 104 141 4 68 45 8 105 145 20 108 158 8 108 173 22 70 54 13 108 156 8 91 9824 68 42 18 101 125 14 57 7 2 95 112 14 108 170 3 94 108 16

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