Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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________________ 210 शब्द ऊसुगेण शब्दार्थ ભ્રમથી એકાગ્ર एगग्गएगपाक्खियं એક પક્ષી ओ ओइण्णो અવતર્યો ओक्खंदं સૈન્ય વડે નગરઘેરો ओसण्णहियया 1 ખિન્ન હૃદયવાળી ओसप्पिणीए અવસર્પિણીમાં ओसढाई ઔષધો सद्दकोसो-२ (अकारादिक्रमेण) कथा | पृष्ठ पंक्ति शब्द शब्दार्थ 73 59 7 | कण्णसूलविहायगो नभां शूज कपद्दिसड्डस्स 5 श्राव 83 83 12 | कप्पलयाविव स्पवृक्षनी वेदानी म 119 10 | कप्पवल्लरिव्व क्ष्यवृक्षनी वेदानी भ | कबंधगओभ 79 73 3 | कम्मणाइपयोगकरणं भए। म प्रयोग | कयग्धं કૃતજ્ઞ 26 5 कयग्यो 98 120 1 कयाणगं रिया 85 87 5 कयाणगाइं रिया शाह कयाणसणो शासन 528 68 46 23 कयासीपदाणा આશીર્વાદ દેનારા 108 172 3 कलुणसरेणं કરુણ સ્વરથી 68 45 2 कवडनिदं કપટ નિદ્રા 94 106 16 | कवडवित्तीए 52वृत्तिथी 90 96 24 कवद्दी जक्खो 5 यक्ष . 108 172 14 ચાબુકના પ્રહારોથી 73 58 18 | कसिणमुहो 1 ખિન્ન મુખવાળો 108 170 5 | कहासवणं કથા શ્રવણ 89 96 1 | काउमाढत्तो કરવા માટે તૈયાર થયો 68 40 4 कामगवी - કામધેનુ 88 93 5 -कारगाओ કારણ 70 53 3 | कारिमो કૃત્રિમ 105 142 4 कालखेवं કાળક્ષેપ कंतं પતિની कंतारंमि વનમાં कंतिनासियतमिस्से प्रमाथी अंघ२ २हित किंदुगं पिव દડાની જેમ कक्करा કંકર कक्क्खाए કાંખમાં कक्कसा કર્કશ कज्जकोसलं કાર્યકુશળતા कट्टफ़लगं લાકડાનો પલંગ कटुव्व કાષ્ઠની જેમ कटुिंधण धए।कढाहि કાઢો कडजोगिदुस्साहूणं सातार्थ साधुसोनी कथा | पृष्ठ पंक्ति 108 163 11 86 89 3 68 43 2 68 47 18 73 60 5 99 121 17 108 174 17 83 82 10 105 142 8 62 23 27 105 145 8 94 109 13 64 30 6 61 19 5 108 174 12 82 78 25 108 175 11 ____91 98 15 108 157 6 58 9 6 108 172 17 78 69 6 99 122 2

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