Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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________________ 212 कथा पृष्ठ पंक्ति 108 158 7 86 90 3 58 814 77 67 23 108 157 16 108 167 6 धी सद्दकोसो-२ (अकारादिक्रमेण) शब्द शब्दार्थ कथा | पृष्ठ पंक्ति शब्द | शब्दार्थ खेवणसरिसं સમાન 108 162 7 | गेहमंडणा घ रने शोभावनारी गोदोहणाओ ॥य होडवाथी गउरवं ગૌરવ 68 42 16 गोयरग्गणिग्गयं शायरी भाटे नाणेल. गउरवपयं ગૌરવ સ્થાને 68 47 9 ગોવાલણ गंतुमसमत्थो જવા માટે અસમર્થ 56 4 9 घ गड्डुछूढो ખાડામાં નંખાયો 101 127 4 घडियमेत्तं પળમાત્ર -गतउमज्झे સીસામાં 82 79 2 घडियामेत्तेण घडीमात्रमा, क्षाभरभ -गमागमाई અવર-જવર 68 46 6 घयं गयणे આકાશમાં 79 70 19 घयपुण्णा માલપૂઆ -गयाગદા 104 139 10 घायगरा ઘાતક गवक्खम्मि ગવાક્ષમાં 93 104 1 घाय-प्पडिघाया घात-अत्याधात. गवेसंति શોધે છે 92 103 2 गसिओ પકડાયો 59 14 7 | चउघडिगाए - ચાર ઘટિકા गहिलो ગ્રથિલ 95 112 चउपलिओवमाऊ // 2 ५ल्योपभर्नु आयुष्य गिहंगणम्मि ઘરના આંગણમાં .. 81 75 11 चंकमंती ભટકતી गिहकवाडाइंघन। ६२वाने 105 145 7 चक्कमंतो ભટકતો गिहिधम्मनिव्वहणटुं स्थधना निवाड भाटे 108 155 13 |चक्कवट्टिपयलाहरूवं यति५हन साम३५ गीजणीसुलत्ताणो मनी सुलतान 81 76 7 | चयंतो ત્યાગ કરતો गीयट्ठो सातार्थ * 61 20 26 चरणुवासणं यर उपासना गुणंतरलाहजणगं बी. गुएन वामन 81 77 9 चरमुहेणं | ગુપ્ત વેષ गुणनिवहो ગુણનો ભંડાર 68 42 16 चलबिंदुचंचले गलिहु यंय गेज्झं ગ્રહણ કરવા યોગ્ય 108 165 15 चहुट्टति ચોંટે છે गेहं કમળરૂપ 108 175 25 चाएइरे त्या २१वे गेहकिच्चाई ગૃહકાર્યો 63 27 7 / चाडुकम्मई સુંદર કર્મો 65 33 1 108 170 18 108 167 5 108 159 18 56 4 21 67 37 1 62 23 14 70 54 22 63 28 2 108 176 6 86 90 6 94 108 17 68 48 10 108 175 21 108 163 27

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