Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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________________ शब्द धूम सद्दकोसो-२ (अकारादिक्रमेण) शब्दार्थ | कथा | पृष्ठ पंक्ति शब्द शब्दार्थ कथा पृष्ठ पंक्ति धूभाडो 87 91 १/निच्चयरपएसंमि नीयाएवा प्रदेशमा 103 133 3 न | निच्चेट्ठो नश्येष्ट, येष्टा विनानो 108 173 18 नक्कमल्लव નાકના મલની જેમ 108 175 17 निच्छओ નીકળી ગયો नग्गजडिलं નગ્ન જટીલને 108 168 12 निच्छुभिस्सामो समे जीढी भुडीशु 101 126 नच्चा જાણીને 108 174 11 निप्पयोयण- निष्प्रयो४न 108 165 14 नज्जइ જાણે છે 87 91 7 | निप्फत्तिं નિષ્પત્તિ 105 144 नज्जइ 'छतरायो छु' सेभ दागेछ 88 92 24 | | निब्बंधेण આગ્રહથી न तरेइरे સમર્થ નહોતી 81 77 21 | निमित्तवेई કલાચાર્યની 59 13 -नमिरનમ્ર 103 133 4 नियंकंमि પોતાના ખોળામાં 104 135 नयणगलियंसू नयनोमांथा स२ सुपा 61 22 15 नियकोसल्लं પોતાની કુશળતા 108 153 21 नयरचच्चरमंडवे न॥२॥ में यो।न। भ3५ 58 813 नियघरम्मि પોતાના ઘરે 92 100 11 न याणेसि જાણતી નથી 59 16 10 नियट्टिया નાશ પામી 77 67 10 नरकवालं भासनी जोपरी 83 82 3 | नियडमग्गं નીકટ માર્ગ 102 130 14 न विहेसि त्यती नथी. 83 81 1 नियपारद्ध- पोतार्नु प्रा२७५ 81 77 23 नहम्मि આકાશમાં 79 70 21 | नियवरकिसोरे पोताना श्रेष्ठ घोडासाने 68 42 22 - नाडि-अत्थिमेत्तावसेसो नाडी-8131मात्र ना हेडपाणो 102 130 1 | नियसंतइसरिसा पोतानी संततिनी ठेभ. 108 161 2 नाणत्तयसमणियं त्रए। शानथी सहित. . 61 20 15 | नियाणसल्लं निहान शल्य नायमग्गेण न्यायमार्ग 83 80 12 | नियाहीणे पोताने साधीन 108 155 2 निअसुहडेपोतन सुमटने 62 26 1 | निवसणं . निवास ७२वो . 108157 16 निएइ. मेछ 68 40 23 | निवारित्थामटाव्यो 84 84 11 निक्कलंको નિષ્કલંક 56 4 3 | -निविडपरिग्गहनिक्कासेड़ બહાર કાઢે છે 60 18 4 सण्णमुच्छिएण . परिह संज्ञानी भूछथि. 61 20 4 निग्घिणचरियं भ्रष्ट यरित्र 67 37 9 निसन्नाई। નીરખે છે. 66 35 2 निच्चं नृत्य 5 6 निसमिऊण સાંભળીને 75 63 22

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