Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 251
________________ कथा पृष्ठ पंक्ति 105 142 21 82 78 15 62 25 17 108 172 9 108 155 26 56 4 21 सुमरंतो 226 सद्दकोसो-२ (अकारादिक्रमेण) शब्द शब्दार्थ कथा | पृष्ठ पंक्ति शब्द / शब्दार्थ सुगो પોપટ 91 98 16 | सोगभरगग्गिरेण शाह 43 सुद्धिं શોધ 77 67 7 | सोयरा સહોદર ભાઈઓ सुद्धी ભાણ 62 25 10 | सोलसवारिसिई सो वर्षनी સ્મરણ કરતો 62 26 21 सोसाहं ઉત્સાહ સહિત सुमराविउं સ્મરણ કરાવવા માટે 89 96 10 सोहणसिलोगाइयं सुं४२ 28 वगैरे सुरक्खियट्ठाणे सुरक्षित स्थानमा 70 53 10 सोहम्मकप्पे સૌધર્મ દેવલોકમાં --सुरचावं ईन्द्रधनुष 68 46 11 = सुरसरिया सुरसरिता, हैवानही 108 155 24 | | हंसुलया જાતિવિશેષ ઘોડાઓ सुरसेज्जासंगसुहं हेवशय्या भगवान सुप 68 47 22 | हड्डाई હાડકાં सुववत्थियं सुदाय सात-स्थान 61 19 2 हयदिव्बकयं તુચ્છભાગ્યથી કરાયેલું सुहालावपुव्वयं सा२२८५. पूर्व ( 24) 108 158 9 | हरिणनयणे! मृगनयनीवाणी ! सुहासरिसઅમૃત સમાન हरिसंसूई હર્ષના આંસુ सुहासरिसिं અમૃત સમાન 108 159 18 | हरिसभरपुलइअसरीरो ४२५थी शरीरवाणो सूलिगाइ शूजी 59 13 22 | हरिसवसुल्लसिय- बने // 25 सूवकारिगाणं राधनारीन . 108 169 24 | हरिसविसाय - સેતુ, પુલ 72 56 26 हासं હાસ્ય 3-सेच्छायारिणी स्वेच्छायारी 108 175 21 | हिंडिउं यास। भाटे सेणिअनिवस्साणुण्णं श्रे1ि3 21% नी अनुशा 57 61 हिक्का श्रेय, अत्याएरी ____68 48. 19 | हिययरुइयं હૃદયને ગમે તે રીતે सेयंबरधरा श्वेत वस्त्रो ५३२वी. 88 92 19 | हिययावयारणसत्ती हय / शति सेयअक्कतलं - શ્વેત આકડાનું વૃક્ષ 61 18 21 हीरइ 424 // २॥य छ, सेहरसरिच्छे શિખર સમાન 68 લઈ જવાય છે 68 42 74 62 68 44 22 59 16 10 .98 119 5 102 128 2 68 48 7 सेयं 89 95 5 106 148 19 . 58 9 9 108 156 4 104 137 18

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