Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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________________ 223 68 सद्दकोसो-२ (अकारादिक्रमेण) शब्द शब्दार्थ कथा पृष्ठ पंक्ति शब्द शब्दार्थ कथा | पृष्ठ |पंक्ति -विणम्मया- | વિનમ્રતા 78 70 9 मुही होऊणं અભિમુખ થઈને 104 140 8 विणयपणयंगी विनय५९॥णी 66 35 7 | विहलु विs. 79 70 24 विणिवाइओ विनाश पाभ्यो 58 8 ८-विहवजुआ વૈભવયુકત 83 83 2 विणीअपुत्तो विनीत पुत्र 62 26 13 | विहाया / વિધાતા, નસીબ 108 165 26 वित्तासिया त्रास. पाभेदा 83 80 19 | विहिसरूवं ભાગ્યનું સ્વરૂપ 106147 7 विन्नत्तिं વિનંતિ 68 46 26 | वीसजंतु- વિશ્વના જીવો 78 69 6 विप्पविण्णत्तेण प्राए।नी विनंतिथी 76 65 5 | वीसासघायं વિશ્વાસઘાત 108 175 13 -विप्पस्स વિપ્રની, બ્રાહ્મણની 80 73 13 | वुत्तं डेदी 105 142 4 विभइत्ता વિભાગ કરીને 108 166 22 | वुल्लाहा જાતિવિશેષ ઘોડાઓ 42 18 विमाउए અપર માતાએ 84 84 19 वुहा વૃથા, ફોગટ वियंडा विवाह 108 163 7 |-वेज्जेहिं વૈદ્યો વડે 88 94 9 वियक्खणा વિચક્ષણ 108 158 7 | वेढिअं ઘેરો ઘલાયો 88 92 22 वियाणियवई વિચારતી રહી 98 119 8 | वेदेइ અનુભવે છે 58 10 19 वियाणियब्बो જાણવો 68 47 7 | वेयड्डे વૈતાદ્યમાં 94 110 30 वियारभूमीए ચંડિલ ભૂમિએ 108 163 13 | वेयाइसत्थज्झयणदाणं वहशिस्त्राध्यननु हान 108 155 13 वियाहिया विरित 72 / / 57 6 22 वेरिलच्छीवेणीआगरि- शत्रुमानी लक्ष्मी३पी स्त्रीभाना. विलयं स्त्रीने. 83 82 4 | वेलक्खं મૂંઝવણ 107 151 22 विलयं पत्ता મરણ પામ્યા 108 156 27 | वेसावुदेण वेश्यान। वृह-समूह 43 77 67 विवत्तीए વિપત્તિમાં 81 77 25 | वेहाणसेण गणे siसो नinाथी 105 145 विवेगवंतो વિવેકવાળો 85 87 13 | वोलीणे પસાર થતાં 64 31 विसज्जित्था विसर्डन री 87 90 25 विस्सुओ विद्वान, विशिष्ट श्रुतानी 107 151 5 सई એક વાર 73 60 3 विहगाहिव- 3 68 42 20 | सइवेहिं / સચિવ વડે 88 94 3 विहरणदिसाहि- विहानी हिनी | सउण-सावयगणेहिं श्राप गए। 58 11 3 स

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