Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 230
________________ ઊંચે सद्दकोसो-२ (कथानुक्रमेण) | शब्द शब्दार्थ कथा| पृष्ठ पंक्ति शब्द विगलचेयनो उत्थान. थये। प्रयू२ वर्षी 108 165 25 | अगोयरत्थाणे विहाया . विधाता, नसी 108 165 26 निहेऊणं -पाइक्कपमुहं ( પાયદળ વગેરે 108 165 27 मढियं विगप्पजालंमि | વિકલ્પની જાળમાં 108 165 29 | नग्गजडिलं 108 166 4 रीई पडिवयणं પ્રત્યુત્તર 108 166 5 तवंसित्तणं कुडिलत्तणं કુટીલતા 108 166 11 धुत्तो पइस्सइ પચશે 108 166 12 ठक्कुरपयं अमरिसपुव्वयं अधपूर्व 108 166 19 | उवसिलं विभइत्ता વિભાગ કરીને 108 166 22 | परिइओ विक्खरणंमिढवामा 108 166 24 मडयत्तयं उवाहिं ઉપાધિ 108 166 25 दावंतु आरत्तलोयणो मोवाणो 108 167 2 सूवकारिगाणं कोसाओ મ્યાનમાંથી 108 167 3 | अप्पाहीणं घाय-प्पडिघाया घात-प्रत्याधात 108 167 5 महापयाससझं मम्मट्ठाणंमि મર્મ સ્થાનમાં 108 167 5 खुहाउरेण घडियामेत्तेण घडीमात्रमi, क्षम२i 108 167 6 बलफुरणं कुंजत्थियाधानमा २३दी 108 167 7 कज्जकोसलं धणत्थीणं ધનના અર્થીનું 108 167 7 | सक्कारित्ता आइच्चकिरणेहिं सूर्यन। २९थी 108 167 8 अद्दपत्तेहिं उत्तेइयं ઉત્તેજિત 108 167 ८दाविया लोहकद्दमेणं सोम. 35 हqथी. 108 168 2 | धण्णयमा शब्दार्थ भगाय२ स्थानमा टीन ઝૂંપડી 'નગ્ન જટીલને રીતી તપસ્વીપણું ધુતારો ઠાકુરનું પદ શિલાની નજીક પરિચિત ત્રણ મડદાં જોવા માટે राधनारीने પોતાને આધીન घी भनतथा साध्य ભૂખ્યા પેટે शतिर्नु કાર્યકુશળતા સંસ્કારિત કરીને લીલા પાંદડાંઓથી બતાવાઈ ધન્યતમ 205 कथा पृष्ठ पंक्ति 108 168 7 108 168 7 108 168 7 108 168 12 108 168 14 108 169 1 108 169 2 108 169 3 108 169 5 108 169 9 108 169 12 108 169 15 108 169 24 108 169 28 108 170 2 108 170 108 170 108 170 108 1708 108 170 10 108 170 12 108 170 14 WW

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