Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 225
________________ कथा पृष्ठ पंक्ति 103 133 4 103 133 7 103 134 3 103 1345 103 134 19 103 134 24 | लालिंतं 200 सद्दकोसो-२ (कथानुक्रमेण) शब्द शब्दार्थ | कथा | पृष्ठ पंक्ति शब्द | शब्दार्थ कहा-१०१ -नमिर નમ્ર खुड्डगमुणिणो ક્ષુલ્લક મુનિની 101 125 14 आसिलिसेइ ભેટે છે निच्छुभिस्सामो समे 5ढी भुडीशु ___101 126 1 पडिगारं પ્રતિકાર लेट्ठचूरिओ पथ्थरथी यूयो 101 127 2 रत्थाए ગલીમાં विज्जुझामिओवाजीथा बायो 101 127 3 मप्पाई માપો गड्डुछूढो ખાડામાં નંખાયો 101 127 4 दावियं દેખાડ્યું कहा-१०२ कहा-१०४ हरिसभरपुलइअसरीरो ४२५थी पुति शरीरवाणो 102 128 2 | पसेणई પ્રસેનજિતું नाडि-अस्थिमेत्तावसेसो नी-813मात्रन। हेडवाणो 102 130 1 | नियंकंमि પોતાના ખોળામાં जुगमेत्ताए युगप्रभाष्टिथी. 102 130 11 લાલન કરતાં नियडमग्गं નીકટ માર્ગ 102 130 14 | सयं પોતાને अवसुअणं અપશુકન 102 130 16 | लक्खपागतेल्लस्स सक्षपातेदन पयमेत्तंपि પદમાત્ર પણ 102 130 21 दीणयं દીનતા पाविद्वेणं પાપીષ્ઠવડે 102 130 23 | सड्डत्तणं श्रा१७५j भिंगो ભમરો 102 130 26 इंदकयसिलाहाओन्द्र ४२वी. -प्रशंसा छाइल्ले છાયાવાળો 102 130 27 |सरियमेत्तो સ્મરણ માત્રથી चिच्चा છોડીને 102 131 3 अमोहसत्तिधारगा सभोघ शतिना घा२४ मुहच्चिय ફોગટ 102 131 5 हीरइ 429 // ७२छ, अल्हायजणगाई मास्तान 102 131 8 લઈ જવાય છે. कहा-१०३ संकीण्णत्तणेण संहतिथी मइलं मसिन 103 133 1 आकड्डित्था यीय। निच्चयरपएसंमि नीयाशवाणा प्रदेशमा 103 133 3 दंडच्छत्तकासाय- ६-छत्र-भगवा वस्त्राने 104 135 104 135 104 135 104 135 7 104 135 22 104 135 24 104 136 2 104 136 3 104 137 3 104 137 5 104 137 18 104 137 21 104 137 21

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