Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 216
________________ 191 कथा पृष्ठ पंक्ति 68 50 2 68 50 3 68 50 10 | सक्खं સાક્ષાત્ 69 51 69 52 69 52 69 52 ه ه ه ه ه सद्दकोसो-२ (कथानुक्रमेण) शब्द शब्दार्थ कथा | पृष्ठ पंक्ति शब्द शब्दार्थ मंडवमंडियं - શોભતો 68 46 9 अद्दिसभावं અદૃશ્ય -सुरचावंन्द्र धनुष 68 46 1 सज्झाणाओ સ્વધ્યાનથી पारद्धं પ્રારંભ થયો 68 46 16 लोओ લોચ पिक्खणगं નાટક 68 46 19 कहा-६९ अणवरयरत्तमणं अत्यंत प्रेमवाणा 68 46 23 | पयारिज्जति छतरे छ कंतं પતિની 68 46 23 विनत्तिं વિનંતિ 68 46 26 पयाई પગલાં पयंपेइ छ 68 47 4 4 | मिहं પરસ્પર वियाणियब्वो જાણવો कहा-७० भोलविया છેતરી 68 47 8 जम्मूसवो જન્મોત્સવ गउरवपयं ગૌરવ સ્થાને 68 47 9 जम्मलग्गं જન્મ લગ્ન उत्तीहिं ઉક્તિવડે 68 47. 16 कट्ढाहि કાઢો __कप्पवल्लरिव ४५वृक्षनी वेवडीनी 4. 68 | फलाएसं ફલાદેશ संसज्जति मासात थाय 68 47 19 | अणि? मनिष्टसुरसेज्जासंगसुहं हेवशय्या भेगवान सुपा 68 47 22 सुरक्खियट्ठाणे सुरक्षित स्थानमा શપ્યા 68 47 22 आरत्तियकरणे मारा ४२वा भाटे पत्थरेइ પાથરે છે 68 47 25 | खलंतपाओ सदन हरिसविसाय वर्ष-शो 68 48 7 सत्थो स्वस्थ चहुटुंति ચોંટે છે 68 48 10 |चक्कवट्टिपयलाहरूवं यजतिपन दाम३५ समोसढो સમવસર્યા 68 48 14 | पवित्तायारम्मि पवित्र मायाम सेयं શ્રેય, કલ્યાણકારી 68 48 19 कहा-७१ -दुग्गहरं -दु:५हायी 68 49 4 | निब्बंधेण આગ્રહથી 70 53 3 70 53 9 70 53 10 70 54 तूलिया ه ه ه ه ه ه ه ه ه ه 70 54 15 70 70 54 24 71 56 2

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