Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 211
________________ 8 16 8 17 8 20 186 सद्दकोसो-२ (कथानुक्रमेण) शब्द शब्दार्थ | कथा पृष्ठ पंक्ति शब्द शब्दार्थ कथा पृष्ठ पंक्ति रण्णकुरंगबाला मटती भृगजाणा 58 8 13 | भोगेहिं અત્યંત દુ:ખદાયી ભોગોથી 18 20 રદ્દ नयरचच्चरमंडवे नगरना . यो।न। भं.७५ 58 8 13 अलं सधैं 58 10 26 गोयरग्गणिग्गयं गोयरी भाटे नाणेस . 58 814 | मिहिल्लरण्णो मिथिला २.ना 58 10 28 पेइयम्मि पीयरमा 58 8 15 सउण-सावयगणेहिं श्री ए 43 ___58 1 3 आसासिआ माश्वासन अपायु जाईसरणं तस्म२५॥ 58 1 8 पाहुणिआ मतिथि धिरत्थु घिर हो पवत्तिणीए पाहुणी प्रवर्तिनी अतिथि तक्खणं તે ક્ષણે 58 12 4 असरिसरूवलायण्ण-मोड 35 वय 8 22 | णिसामिऊण સાંભળીને निच्छओ નીકળી ગયો 9 1 |णियकरयले પોતાના કરતલમાં छिण्णं ક્ષીણ 9 2 वासवेण ઈન્દ્ર વડે 58 12 13 तह त्ति તે પ્રમાણે 58 | वणिज्जंतो અનુમોદના કરતા 58 12 14 काउमाढत्तो ७२वा भाटे तैयार थयो | भवनित्थारो ભવનિસ્તાર 58 12 18 फरुसं श कहा-५९ हिययरुइयं हयने मे ते रीते. रिउमद्दणो | રિપુમર્દન परायत्तजीवियाणं ५२॥धान वन | सिणाणपाणभोयणाई स्नान-मोन-५ मा 59 13 5 नियाणसल्लं નિદાન શલ્ય 58 10 3 | निमित्तवेई . કલાચાર્યની 59 -कुसुमबुढिगंधो सुभवृष्टि 58 10 7 | वज्जाहया વજઘાત પામેલી 59 13 10 इहोपोहं ઉહાપોહ तणओ पुत्र 59 13 10 सयासं. સન્મુખ | कोवघरम्मि | કોપઘરમાં 59 13 11 वेदेइ અનુભવે છે 58 10 19 समुइओ સમુચિત, યોગ્ય 59 13 14 वमिऊण વમીને 22 | आहविऊणं मोसावीन अच्चंतदुक्खदाइ | इच्छइरेगधणं छ।थी अघि धन 59 13 18 58 9 9 59 134 9 10 m 9 .

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