Book Title: Paiavinnankaha Part 02
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 212
________________ 187 'वापरीने 900 - 66. सद्दकोसो-२ (कथानुक्रमेण) शब्द शब्दार्थ कथा पृष्ठ पंक्ति शब्द शब्दार्थ कथा पृष्ठ पंक्ति वग्यत्तडीनाएण न्यायथी. ... 59 13 18 | किलिट्ठकम्माइं लिष्ट मा 59 16 22 वहढें 15 भाटे . 59 13 21 कहा-६० सूलिगाइ शूजी 59 13 22 वइऊण 60 17 7 अहिप्पायं मुणंतो भघि (भमानी तो 59 13 22 निक्कासेइ बार छ 60 18 4 पहपरिस्संतो भाना परिश्रमथी थायो 59 14 25 आसासेइ આશ્વાસન આપે છે 60 18 4 पवहणमग्गेण વહણમાર્ગે 59 14 4 मज्जंतो ડૂબતો 60 18 5 अणेगदिवेसुं અનેક દ્વીપોમાં कहा-६१ गसिओ પકડાયો 59 14 7 सेयअक्कतलं શ્વેત આકડાનું વૃક્ષ 61 61 18 21 धीवरेण માછીમાર વડે सुववत्थियं सुपा साय: सात-स्थान 61 19 सयंवरमंडवं स्वयंवर 45 15 1 दिट्ठिपाओ દૃષ્ટિપાત 61 19 4 अणुण्णं અનુજ્ઞા 4 | कवडनिबं કપટ નિદ્રા 61 19 5 पवणपबलत्तणेण पूर्ण माथी |-निविडपरिग्गहवत्थंचलेण વસ્ત્રના છેડા વડે 59 16 1 | सण्णमुच्छिएण // 52 संज्ञान भूथि 61 20 4 भायणं ભાજન 59 16 2 | उक्कडरोसक्कंतो शेष ४२तो 61 20 5 WE नेहाउरा સ્નેહથી આતુર 59 16 4 | अवरिं. 52 61 20 सनिब्बंधं ઘણા આગ્રહપૂર્વક 59 16 7 | नाणत्तयसमण्णियं त्रए शानथी सहित 61 20 15 अच्चंतदुरग्गहवसेण अत्यंत हुशयाना ॥२५॥थी. 59 16 7 गीयट्ठो तार्थ 61 20 न याणेसि ती नथी. 59 16 10 पडिमं पडिवण्णो प्रतिभा पा२५। ७२तो 61 20 27 हरिणनयणे। मृगनयनोवाणी ! 59 16 सिणाणं स्नान 61 21 3 59 16 14 | नयणगलियंसू नयनोमाथी सरत। Hiसुवामा 61 22 15 उज्जावालगमुहाओ उधान पान भुमेथी 59 16 16 कहा-६२ पच्चक्खं પ્રત્યક્ષ 21 परिहाणवत्थं 62 23 5 >> orr >> 9 982 पक्कली સમર્થ

Loading...

Page Navigation
1 ... 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254