Book Title: Padmapuran Part 1 Author(s): Dravishenacharya, Pannalal Jain Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 4
________________ ISBN 81-263-0507-X (Set ) 81-263-0508-8 भारतीय ज्ञानपीठ ( स्थापना : फाल्गुन कृष्ण 9; वीर नि. सं. 2470; विक्रम सं. 2000; 18 फरवरी 1944 ) पुण्यश्लोका माता मूर्तिदेवी की स्मृति में साहू शान्तिप्रसाद जैन द्वारा संस्थापित एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रमा जैन द्वारा संपोषित मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला इस ग्रन्थमाला के अन्तर्गत प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी, कन्नड़, तमिल आदि प्राचीन भाषाओं में उपलब्ध आगमिक, दार्शनिक, पौराणिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक आदि विविध-विषयक जैन साहित्य का अनुसन्धानपूर्ण सम्पादन तथा उनका मूल और यथासम्भव अनुवाद आदि के साथ प्रकाशन हो रहा है। जैन-भण्डारों की ग्रन्थसूचियाँ, शिलालेख संग्रह, कला एवं स्थापत्य पर विशिष्ट विद्वानों के अध्ययन - ग्रन्थ और लोकहितकारी जैन - साहित्य ग्रन्थ भी इस ग्रन्थमाला में प्रकाशित हो रहे हैं। Jain Education International ग्रन्थमाला सम्पादक (प्रथम संस्करण) डॉ. हीरालाल जैन एवं डॉ. ए. एन. उपाध्ये प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ 18, इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्ली-110003 मुद्रक : नागरी प्रिण्टर्स, नवीन शहादरा, दिल्ली- 110 032 © भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सर्वाधिकार सुरक्षित For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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