Book Title: Nyaya Tirth Prakaranam
Author(s): Nyayvijay
Publisher: Nirnaysagar Press
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Sareekerkakkertenerkonkerkertented * ॥ निम्मलपभाववंतो, भुवणुवयारप्पवीणकरणा जे॥
तवगणगगणे सूरा, जयंतु ते नेमिसूरीदा ॥१॥ सर्वतन्त्रस्वतन्त्रचातुर्विधविशारदश्रीमत्तपोगच्छाचार्यभट्टारकश्रीविजयनेमिसूरीश्वरविनेय
सिद्धान्तवाचस्पति-न्यायविशारद-अनुयोगाचार्य
ओ ही श्री महोपाध्यायश्रीउदयविजयगणिना
विनिर्मिता॥
॥जैनतत्त्वपरीक्षा.॥
Sstrokendrenkertendentertakertenderkanderkelendentenderkelenkertenderko
तस्याचायं - प्रथमो वर्गः॥
राजनगर (अमदावाद) स्थनागजीभूधराख्यरथ्यानिवासि-घेवरीयाशाखीय-हीराचन्द्रतनुजनुजमना
दासद्रविगसाहाय्येन मुद्रयित्वा जैनग्रन्थप्रकाशकसभायाः
कार्यवाहकशा. वाडीलाल-बापुलाल-इत्यनेन
प्राकाश्यं नीतः॥ प्रत ५००. सं. १९८३. सने १९१७.
मूल्य ०-४-०.
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