Book Title: Nyaya Tirth Prakaranam
Author(s): Nyayvijay
Publisher: Nirnaysagar Press

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ ॥ श्रीः॥ * सुज्ञ बन्धुओ. . आ ग्रन्थनी रचना करनार परमपूज्य परमोपकारी परमकृपालु प्रातःस्मरणीय पूज्यपाद विहितभगवतीयेोगाद्वहनादिप्रवचनोक्तशुद्धक्रियाकलाप विद्यापीठादिप्रस्थानपंचकाराधक समाराधितश्रीसूरिमन्त्र अमेयमहिमानिधान भारतमेदिनीमार्तण्ड जगद्विभूषण भट्टारक श्रीमत्तपोगच्छाचार्य श्रीमान् विजयनेमिसूरीश्वरजीमहाराजना शिष्यरत्न सिद्धान्तवाचस्पति न्यायविशारद अनुयोगाचार्य ओ ही श्री महोपाध्यायजी श्रीमान् उद्यविजयजीगणिजी महाराज छे. ग्रन्थकर्तामहाराजश्रीने तथा न्यायवाचस्पति शास्त्रविशारद अनुयोगाचार्य ओह्री श्री महोपाध्याय श्रीदर्शनविजयजी गणिजीने, तथा अनुयोगाचार्य पन्न्यासजी श्रीप्रतापविजयजीगणिजीने संवत १९६९ मां कपडवंजमा भट्टारक सूरीश्वरजीमहाराजश्रीए भगवतीजीना योगोद्वहन करावी श्रीसंघना विशाल हर्ष साथे गणिपद पन्यासपद अनुयोगाचार्यपद आप्या हता ते सुविदितज छे. .. हालना चालू वर्ष १९७३ ना मागशर वदी ३ ने दिवसे श्रीसादरी-शहेरमां भट्टारक सूरीश्वरजीमहाराजसाहेबे श्रीमान् न्यायवाचस्पति शास्त्रविशारद अनुयोगाचार्य ओही श्री महोपाध्यायजीश्री दर्शन विजयजीगणिजीमहाराजने तथा ग्रन्यकर्ता महाशय श्रीमान् सिद्धान्तवाचस्पतिन्यायविशारद अनुयोगाचार्य ओ ही श्री महोपाध्यायजी श्रीउदयविजयजीगणिजीने-न्यायवाचस्पति शास्त्रविशारद तथा सिद्धान्तवाचस्पति न्यायविशारद

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96