Book Title: Nirtivad
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satya Sandesh Karyalay

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Page 19
________________ व्याज हराम समाधान- रुपया तो एक उपलक्षण मात्र है । इसके अनुरूप दूसरे देशो को अपने सिक्के मे सम्पत्ति की मर्यादा निश्चित कर लेना चाहिये । भारत मे भी परिस्थिति के अनुसार एक लाख रुपये से अधिक या कम मर्यादा स्थिर की जा सकेगी। ग्वासकर अगर बेकारी की समस्या हल न हो तो एक लाख रुपये की मर्यादा घटाकर पचास हजार की जा सकती है । और उत्तराधिकारित्व के समय ही नहीं किन्तु जीवन मे ही अधिक सम्पति का आधा या दो तृतीयाग बेकार शाला फड मे लिया जा सकता है । I शंका [५] क्या श्रीमानो की तरफ से मिले हुए इसी वन से बेकार - शालाओ का काग चलाया जायगा 2 समाधान - यह मुख्य द्वार होगा । साथ ही बेकार शालाओ को चलाने के लिये सरकार दूसरी आमदनी मे से भी वर्च करेगी। वेकार शालाओ को चलाने की सरकार पर पूरी जिम्मेदारी रहेगी । श्रीमानो की सम्पत्ति में से भाग नहीं मिला यह वहाना बेकारशालाओ के सञ्चालन मे बालक न वनेगा | शंका - [६] अगर पूँजीवाद मिट जाय और बेकार - शालाओ मे कोई आदमी न रहे तब भी क्या धन सग्रह पर रोक रहेगी ? समाधान - अवश्य । बेकार - गालाओ को अगर उस धन की आवश्यकता न होगी तो सरकार उस बन को प्रजा-हित के दूसरे कामो मे खर्च करेगी । ग--आय कर [ इनकम टेक्स ] निम्न लिखित दर के अनुसार देना पडेगा । [ १५ आमदनी पर कर न लगेगा | सरकारी मकान का भाडा देना पडता होगा तो वह भी करसे मुक्त रहेगा । इससे अधिक आमदनी का चतुर्थाश करके रूपये देना होगा । १- कुटुम्ब के प्रत्येक व्यक्ति पर पन्द्रह रुपया मासिक [ वडे शहरो मे वीस रुपया ] तक की जैसे किसी कुटुम्ब में पाच व्यक्ति है और १०) मांसिक मकान भाडा देना पडता है और आमदनी १००) मासिक है तो १५४५ = ७५) +१० ) = ८५) इस ८५) मासिक पर कुछ टेक्स न रहेगा बाकी १५) रुपये मे से चतुर्थांश ३|| ) कर देना पडेगा | अगर छ आदमी कुटुम्ब मे हो जाय तो कुछ भी न देना पडेगा । अगर चार रह जॉय तो ७||) रु मासिक देना पडेगा । इस प्रकार कुटुम्ब मे आदमी बढने पर फी आदमी ३|||) रु. कर घटेगा और आदमी घटने पर फी आदमी ३|||) रु कर बढेगा । घ -- प्रत्येक आदमी को कुटुम्ब का मुखिया होते समय इस बात का विवरण देना होगा कि उसके पास इस समय कितनी सम्पत्ति है । ङ - किसी भी मनुष्य से यह पूछा जा सकता है कि तुमको वालिग होते समय या उत्तराविकारी होते समय इतनी सम्पत्ति मिली थी पर आज इतनी अधिक क्यो है ' सम्पत्ति के बुढने का यदि सन्तोपजनक कारण न मिलेगा तो वह अपराव समझा जायेगा। इससे जितनी सम्पत्ति के विषय मे सन्तोपजनक उत्तर न मिलेगा उतनी सम्पत्ति छीनी जा सकेगी और कुछ जुर्माना भी किया जा सकेगा । ३ व्याज हराम क - कोई भी व्यक्ति व्याज के ऊपर साइकारी न कर सके, सुरक्षण के लिये सरकारी वेको मे वह रुपया जमा कर सके पर उसे व्याज न मिले । आवश्यकता होने पर वह सरकार के मार्फत दूसरों

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