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निरतिवाद वगैरह की हो तो उसका खर्च भी जोडकर ऋण हिस्सेदारी कर सकते है । की जो रकम हो उसमे वह सब रकम कम कर
६ ज़मीन और मकान दी जाय जो साहूकार को आज तक मूल या
क-वर्तमान मे जो जमीदार है उनका ब्याज के नाम पर मिली है। इस ऋण को
___ जमीदारी हक दस वर्ष तक चालू रहे । बादमे
जमीदारीक दस वर्ष तक चाल चुकाने के लिये पाच वर्ष की मुद्दत दी जाय ।
उनकी जमीदारी सरकार लेले । इसके बाद पाच इस मुद्दत मे ब्याज न लगाया जाय । अगर ऋणी
वर्ष उनको अपनी जमीन कम करने के लिये की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो जल्दी ऋण और दिये जॉय । इस बीच वे अपनी जमीन बेच चुकाने के लिये न्यायालय आज्ञा दे ।
सकते है या कुटुम्ब मे इस प्रकार विभक्त कर (५) कारखाने आदि सकते है कि नियम न. [६-ग] के साथ इसके सभी विषयोमे पुराने कारवार के विरोध न रहे । लिये निम्न लिखित स्पष्टीकरण है---
ख-जिनके पास जमीन अधिक है उन्हे दस १-अभी जो कारखाने या कम्पनियों है वे वर्ष का समय दिया जाय कि वे अपनी जमीन पाच वर्प मे सरकारी हो जॉयेंगी। उनकी मशीन नियम न. ६-ग के अनुसार करले । आदि की जो उस समय कीमत उचित समझी ग-ऊपर जो क और ख मे समय दिया गया जायगी वह सरकार देगी। पर सरकार एक साथ है उसके पूर्ण होने पर यह योजना काम मे लाई न देगी । वह दस वर्ष मे धीरे धीरे देगी। जाय । और उसी क्रम से वह शेयर होल्डरो मे बट जायगी। घ--मल योजना की तरह ।
२-एक व्यक्ति के नाम अगर एक लाख --पाच वर्ष की अवधि दी जाय । रुपये से अधिक के गेयर होगे तो वे अधिक शेयर च--पाच वर्ष तक मकान भाडा ले सकेगा। सरकार जप्त कर लेगी। अर्थात् हिस्सा होते समय परन्तु भाडा औचित्य की मात्रा से अधिक तो उन शेयरो का रुपया सरकार खुद लेलेगी। नही है इसकी जॉच की जायगी । और दो वर्ष
३-बीमा कम्पनियों नये बीमा लेना बद कर के बाद भाडेका चतुर्थाश सरकार लेने लगेगी। देगी | पाच साल तक पुराने बीमो का रुपया उसके दो वर्ष बाद आधा लेने लगेगी और पाचवे लेती रहेगी और चुकाती रहेगी पर शेयर होल्डरो वर्ष तीन चतुर्थाश । बाद मे पूरा । सिर्फ मरम्मत को प्रति वर्ष ३) सैकड़ा से अधिक न बॉट के लिये भाडे की आमदनी का एक दशाश मिल सकेगी । बाद मे कम्पनी सरकारी हो जायगी। सकेगा।
और वह ऊपर के दो नियमो के अनुसार शेयर- छ-मूल योजना की तरह । होल्डरो को बदला देगी।
७ सरकारी मुलाज़िम --पाच वर्प मे सब हिस्सेदारो को अपना क और ख मूल योजना की तरह । हिसाब करके अलग हो जाना चाहिये ।। ग मे थोडा बहुत परिवर्तन किया जा सकता है। अथवा वे नियम न. ५ घ के अनुसार नये ढगसे घ ङ मूलकी तरह ।