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संदेश तीसरा निधि न हो तो हरएक प्रतिनिधि को हरएक कौम तीसरा मार्ग-पृथक् प्रतिनिधित्व कर देने के मनुष्य का खयाल रखना पड़े और साम्प्र- पर भी अगर सम्मिलित निर्वाचन से सन्तोप न दायिक कटुता न हो।
होता हो और अविश्वासादि कारणो से कुछ समय परन्तु प्रारम्भ मे जब तक ठीक तौर पर तक पृथक् निर्वाचन भी चालू करना हो तो विश्वास पैदा नही हुआ है तबतक निरतिवाद की आशिक पृथक निर्वाचन की नीति काम मे लेना नीति के अनुसार कुछ समझौते का मार्ग निकाला चाहिये । बहुसख्यक समाज नियत प्रतिनिवित्व जा सकता है । इसके दो मार्ग है-- न मागे तो अच्छा है परन्तु अगर मागे ही तो वह
पहिला मार्ग-तो यह है कि न तो पृथक् भी दिया जा सकता है। प्रतिनिधित्व रहे न पृथक् निर्वाचन रहे किन्तु इसमें निम्न लिखित नियम रहेगे। प्रतिनिधियो की सख्या नियत रहे । अल्पसत्यक १-अपने अनुपात से अधिक किसी को. कोमो के प्रतिनिधि उनकी जन सख्या के अनु- प्रतिनिवित्व न रहेगा । सार नियत हो । पर चुनाव सामान्य ही हो ।
हा। २-वह अनुपात सौ मे अस्सी प्रतिनिधियो चनाव होने के बाद अगर यह मालूम हो कि के साथ लगाया जायगा । बाकी बीस प्रतिनिवि अमुक काम के नियत प्रतिनिधि चुनाव में नहीं सामान्य निर्वाचन के लिये रहेगे। आ सके कुछ प्रतिनिधि कम रह गये है तो जितने प्रतिनिधि कम रह गये हो उसी कौम के
३-दस दस वर्ष के बाद सामान्य निर्वाउतन प्रतिनिधि धारासभा अपने बहुमत से चुन
चन के प्रतिनिधियो की सख्या दस प्रतिशत ले। जैसे कही मुसलमानो के तीस प्रतिनिधि
बटती जायगी । और जातीय निर्वाचन की घटती नियत है और चुनाव मे पच्चीस ही आये तो पाच
जायगी। प्रतिनिवि वारासभा फिर चुन लेगी । इस प्रकार ४ - सामान्य निर्वाचन का क्षेत्र ७० प्रतिशत तीस की संख्या पूरी हो जायगी।
होने पर पूर्ण सामान्य निर्वाचन कर दिया जायगा। दुसरा मार्ग-यह है कि पृथक् प्रतिनिवित्र इस प्रकार पचास वर्ष मे पूर्ण राष्ट्रीयता प्रचलित तो रहे परन्तु पृथक् निर्वाचन न हो। इस विषय हो जायगी । मे निम्न लिखित नियमो का पालन होना चाहिये। इन नियमा को एक उदाहरण देकर स्पष्ट
१-बहुसख्यक समाज के लिये प्रतिनिधि करना जरूरी है | मानलो किसी प्रान्त की धारानियत न किये जाय ।
सभा मे सौ बैठके है। ५० मुसलमानो की २-अल्प संख्यक समाजके लिये भी उस ३० हिन्दुओ की १५ सिक्खो की ५ वाकी की सख्या के अनुपात से अविक प्रतिनिधि कौमो की । इन सौ वैठको मे से २० बैठके नियत न किये जाय ।
सामान्य निर्वाचन के लिये रहगी । इन बैठको के ३-पृथक् प्रतिनिधित्व उन्ही को दिया जाय लिये हरएक कौम का आदमी खडा रह सकेगा। जिनके दायभाग आदि के कानून जुदे हो और और हरएक कोमका आदमी वोट दे सकेगा। जाति की दृष्टि से अपने को जुदा मानते हो। वाकी ८० बैठके इस तरह बट जाय। 1